उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई डॉक्टरों की हड़ताल पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ऐतिहासिक फैसला लिया है। डॉक्टरों की हड़ताल का मुआवजा डॉक्टरों को मिलने वाले वेतन से काटा जायेगा।
रिकॉर्ड में ‘दाग’ की तरह रखा जाये:
- इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने डॉक्टरों की हड़ताल पर सख्त रवैया अपनाते हुए हड़ताल पर जाने वाले डॉक्टरों की पहचान कर उनसे मुआवजा वसूली और उनके रिकॉर्ड में इस हड़ताल को एक दाग के रूप में शामिल किया जाये।
- कोर्ट ने हड़ताल मामले में एक हाई लेवल कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं।
- कमेटी इस बात की जांच करेगी कि, इलाज के अभाव में कितने मरीजों की मृत्यु हुई है, और इस कमेटी की अध्यक्षता न्यायिक अधिकारी करेंगे।
- कमेटी की अध्यक्षता के लिए न्यायिक अधिकारी अपर विधि परामर्श अधिकारी से नीचे की रैंक के नहीं होंगे।
- कोर्ट ने ये भी आदेश दिया कि, यदि भविष्य में भी इस प्रकार की कोई घटना होती है, तो डॉक्टरों की पहचान की जाये ओअर उनके खिलाफ कार्यवाई की जाये।
- अधिवक्ता मोतीलाल यादव की याचिका पर जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने हड़ताल पर क्या कहा:
- डॉक्टरों की हड़ताल खत्म होने की जानकारी जब कोर्ट को यूपी सरकार की तरफ से दी गयी तो कोर्ट ने यह कहा कि, “यह ऐसा मामला नहीं है कि, इसे मात्र इस आधार पर बंद कर दिया जाये”।
- खंडपीठ ने कहा कि, “डॉक्टरों की शिकायत का औचित्य है, पर हड़ताल करने का यह तरीका मान्य नहीं हो सकता”।
- गौरतलब है कि, डॉक्टरों की हड़ताल 30 मई से शुरू होकर 2 जून तक चली थी।
25 लाख का मुआवजा दोषी डॉक्टरों से वसूला जाये:
- डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के कारण कई मरीजों को इलाज के अभाव में मृत्यु हो गयी थी, जिस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार को आदेश देते हुए कहा कि, मृतको को 25 लाख का मुआवजा दिया जाये।
- साथ ही यह मुआवजा दोषी डॉक्टरों को मिलने वाले वेतन से काटा जायेगा।
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