समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल के बयान ने आज सियासत को शर्मसार कर दिया. बयान ऐसा कि राज्यसभा की कार्रवाई रोकनी पड़ गई. समाजवादी पार्टी के नेता नरेश अग्रवाल का यब बयान किसी पियक्कड़ को भी नागवार गुजरेगा.
क्या नरेश अग्रवाल को नहीं मालूम संसद की मर्यादा?
- सवाल यह कि क्या नरेश अग्रवाल को अभी तक संसदीय मर्यादा की समझ नहीं.
- या फिर नेतागिरी की रौ में वह कुछ ऐसा बह गये कि सारी मर्यादा ताक पर रख दी.
- दरअसल राज्यसभा में बात चल रही थी गौरक्षको की गुंडागर्दी की.
- खुद प्रधानमत्री इस पर नाराजगी जाहिर कर चुके है.
- गुंडागर्दी को रोकने के सीधे निर्देश दे चुके है.
- फिर भी विरोध पर आमादा नरेश अग्रवाल हिंदू भावनाओं को आहत करने से नहीं चूके.
- हिंदू देवी देवताऑ की तुलना शराब से करने लगे.
- वो यहीं नहीं रुके, कहने लगे कि अगर गाय माता है तो बैल औऱ बछड़ा हमारा क्या हुआ?
नरेश अग्रवाल का बड़बोलापन या जानबूझकर की गई टिप्पणी?
- नरेश अग्रवाल की भाषा किसी सड़कछाप लड़के जैसी लग रही थी जिस पर सदन में घोर आपत्ति जाहिर की गई.
- जब नरेश अग्रवाल को लगा कि वह बड़बोलेपन में बड़ा संकट मोल ले चुके है तो खुद ही राज्यसभा के सभापति से कहने लगे कि अगर बात अससंदीय है तो कार्रवाई से हटा दे.
- हालाँकि बाद में उन्हें खेद भी व्यक्त करना पड़ा.
- लेकिन सवाल यह कि क्या हमारे देश के कुछ नेताऑ की समझ इतनी छोटी है कि वह यह नहीं समझ पाते कि क्या संसदीय औऱ क्या असंसदीय.
- या फिर सियासत के नाम पर देश ऐसे तमाशे को बर्दाश्त करने के लिये मजबूर है.
नरेश का बयान….
- वह बयान दोहरा नहीं सकते है लेकिन जब नरेश अग्रवाल के बोल फूटे तो उन्हें व्हिस्की, रम, जिन और ठर्रे में ईश्वरीय तुकबंदी नजर आने लगी.
- नरेश अग्रवाल समझ ही नहीं सके कि वो नेतागिरी के उफान में आस्था और धर्म पर क्या कुछ बोल बैठे.
- राज्यसभा के सदन की गरिमा को इतने साल बाद भी नहीं समझे.
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में उन्होंने जाने-अनजाने कितने दूसरे विवादास्पद बयानों के लिये दरवाजे खोल दिए.
- संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने बिना देर किए ही इस बयान को हिंदू धर्म का अपमान बता डाला.
- बयान से हुए हंगामे के बाद नरेश अग्रवाल के इस बयान को राज्यसभा की कार्यवाही के रिकॉर्ड से ही हटा दिया गया.
अरुण जेटली की प्रतिक्रिया..
- अगर यह बयान आपने सदन के बाहर दिया होता तो आप अभियुक्त बनाये जा सकते थे.
- क्या आप किसी औऱ धर्म के बारे मे ऐसी अपमानजनक बाते कर सकते थे?
अनंत कुमार की प्रतिक्रिया…
- पूरे देश का अपमान किया है.
- हिंदू समाज का अपमान किया है.
- देश के बहुसंख्यक समाज का अपमान किया है.
- इसे हम बर्दाश्त नही करेंगे.
सवाल यह कि..
- क्या समाजवादी पार्टी मे अब राजनैतिक मर्यादा खत्म हो चुकी है.
- आजम औऱ नरेश अग्रवाल जैसे नेता कुछ भी बोल सकते है.
- क्या यह जानबूझ कर खडा किया गया सियासी तमाशा है.
- समाजवादी पार्टी क्या मुस्लिमों को खुश करने के लिये इस तरह का तमाशा कर रही है.
- जिस तरह दलित बीएसपी से अलग हुआ उसी तरह मुस्लिम भी सपा से अलग हो गया है.
- वास्तव में क्या ऐसे बयान से समझदार मुसलमान खुश होंगे या फिर यह दांव उल्टा पड जायेगा?
- क्या देश में किसी को भी यह हक है कि वह हिंदू धर्म या देवी देवताओ का अपमान करे.
- सियासत करने वाले कभी दूसरे धर्मो के बारे में इस तरह के बयान क्यों नहीं देते.
- क्या वह यह जानते है कि हिंदू धर्म एक साफ्ट टारगेट बन गया है जिसका विरोध कर राजनीति चमकाई जा सकती है.
सदन में जमकर हुआ विरोध:
- इस तरह के बयानो पर कानूनी तौर पर किस तरह की कार्रवाई की जा सकती है.
- क्या सदन में कुछ भी बोला जा सकता है औऱ उसके लिये कानून मे कार्रवाई की कोई गुंजाईश नही है.
- संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा कि नरेश की हिम्मत नहीं है कि वह किसी औऱ धर्म को इस तरह से अपमानित कर सके.
- यह बयान अपने आप मे यह नहीं बताता है कि नरेश औऱ उनके जैसे नेता की दुकान इसलिये चलती है कि हिंदू सब कुछ सह लेता है.
- अरुण जेटली ने कहा कि सदन के बाहर अगर नरेश ने यह कहा होता तो वह कानूनी तौर पर अभियुक्त बना दिये गये होते.
- तो क्या सदन के भीतर किसी भी सासंद को किसी भी धर्म को अपमानित करने की खुली छूट मिल जाती है?
- समाजवादी पार्टी और उनके समर्थक दल नरेश के बयान पर खामोश क्यो है?
- गौरक्षको की गुंडई पर हल्ला बोलने वालो के मुंह पर अब ताले क्यो पड़ गए हैं?
अब यहा जवाब समाजवादी पार्टी को देना है कि यह समाजवाद की कौन सी परिभाषा उनके सांसद रहे है जिसमें आस्था पर चोट करके धर्म विशेष को निशाना बनाया जा रहा है. पार्टी के जहर उगलने वाले नेता भी इस पर क्यो चुप्पी साधे हुये हैं यह सवाल भी जनता जरुर पूछेगी.
Writer:
Manas Srivastava
Associate Editor
Bharat Samachar
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