यूपी विधानसभा में सत्र के दौरान 12 जुलाई को मिले संदिग्ध विस्फोटक पीईटीएन मामले में उहापोह की स्थिति बनी हुई है. इसे देखते हुए गृह सचिव भगवान स्वरूप श्रीवास्तव ने संदिग्ध पाउडर को जांच के लिए हैदराबाद स्थित एफएसएल लैब भेजा है.
अब हैदराबाद में PETN साबित करने में जुटा गृह विभाग:
- इस विस्फोटक की तीव्रता तथा क्षमता का भी पता चल जाएगा.
- इसकी जानकारी खुद गृह सचिव ने दी.
- शासन की नींद अभी उड़ी हुई है.
- आगरा के फोरेंसिक लैब ने दरकिनार कर संदिग्ध विस्फोटक को मामूली पाउडर बता दिया था.
- हालांकि शासन की ओर से प्रमुख सचिव गृह ने आगरा लैब से ऐसी कोई जांच करवाने से ही इंकार कर दिया.
- इसके बाद से शासन में बैठे अधिकारियों की नजर लखनऊ के फोरेंसिक लैब के डॉक्टरों पर है.
- इन्होने 15 घंटों में विधानसभा में मिले संदिग्ध पाउडर को खतरनाक विस्फोटक बता दिया था.
लखनऊ FSL की जाँच सवालों के घेरे में:
- लेकिन इस रिपोर्ट के बाद सरकार सकते में है.
- सरकार लखनऊ FSL की रिपोर्ट को सही बताने में जुटी है.
- लेकिन जाँच करने करने वाले क्या इतने दक्ष थे कि वो पाउडर की पहचान कर सकें.
- ये बात सामने आयी है कि जिन लोगों की टीम ने संदिग्ध पदार्थ की जाँच की उन्होंने पहली बार इस प्रकार का टेस्ट किया था.
- आगरा FSL की टीम इस प्रकार के विस्फोटक की जाँच के लिए सक्षम मानी जाती है.
- वहां पहले भी कई टेस्ट किये जा चुके हैं.
- आगरा में केमिकल एक्सपर्ट की टीम ने पहले भी विस्फोटकों की जाँच की है.
- फिर गृह विभाग आगरा FSL को टेस्ट के लिए सक्षम क्यों नहीं मान रहा है.
- लखनऊ FSL की लापरवाही के बावजूद उनकी रिपोर्ट को तरजीह देने के पीछे सरक़ार की मंशा क्या है.
गलत रिपोर्ट बनाने के आरोपी की रिपोर्ट पर योगी सरकार को भरोसा:
- लखनऊ FSL की रिपोर्ट जाँच के घेरे में है और फिर भी सरकार का कहना है कि आगरा को रिपोर्ट नहीं सौंपी गई.
- किरकिरी होने के बाद अब जो बातें सामने आयी हैं, उससे सरकार घिरती दिखाई दे रही है.
- सवाल ये है कि भ्रष्टाचार के आरोप और गलत रिपोर्ट देने के कारण ट्रायल झेल रहे अधिकारी को क्यों बचाने का प्रयास किया जा रहा है.
- श्याम बिहारी उपाध्याय यूपी से पहले बिहार में फोरेंसिक लैब में सेवाएं दे रहे थे.
- उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे वहीँ सबसे बड़ा आरोप उनपर गलत फोरेंसिक रिपोर्ट देने का था.
- बिहार में उनके खिलाफ कई मामले सामने आये जिनमें उनका ट्रायल हुआ.
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