राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ0 मसूद अहमद ने (shiksha mitra) प्रदेश सरकार पर शिक्षामित्रों की अवहेलना का आरोप लगाते हुये कहा कि एक सप्ताह से सड़को पर उतरे असहाय शिक्षामित्रों की अचानक आई बेरोजगारी पर सरकार का खेद जताना तो दूर रहा उल्टे इन पर लाठियां बरसाई है जिनमें पुरूष ही नहीं महिला शिक्षामित्र भी हैं।
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शिक्षामित्रों के सामने परिवार पालने का संकट
- डाॅ0 अहमद ने कहा कि विश्वस्त सूत्रों द्वारा पता चला है कि उच्चतम न्यायालय में सरकार ने शिक्षामित्रों की पैरवी में ढिलाई का परिचय दिया।
- जब उच्चतम न्यायालय द्वारा शिक्षामित्रों के विरुद्ध निर्णय दिया जो एक लाख बहत्तर शिक्षामित्रों के सामने अपने अपने परिवार पालने का संकट आ गया।
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- जिसके लिए इन लोगो ने लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ धरना प्रदर्शन करके अपनी मांगे सरकार के समक्ष रखने का प्रयास निरन्तर करते चले आ रहे है।
- परन्तु उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार होना तो असम्भव सा प्रतीत हो रहा है।
- हां इन पर पुलिस प्रताड़ना भरपूर हो रही है प्रदर्शनों में कई शिक्षामित्रों की तबियत बिगड़ी।
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- सैकड़ों चोटिल हुये और कई लोगों की मृत्यु भी हुई परन्तु प्रदेश की गूंगी बहरी और घमण्ड में डूबी सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
- रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को अध्यादेश लाकर इन शिक्षामित्रों का उसी वेतनक्रम में समायोजन का रास्ता निकालना चाहिए।
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- ताकि उनके परिवारों के लालन पालन का मार्ग अवरुद्ध न हो।
- राष्ट्रीय लोकदल के समस्त पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शिक्षामित्रों की इस विकराल घड़ी में उनके साथ है।
- उनकी प्रत्येक लड़ाई (shiksha mitra) में बराबर की हिस्सेदारी निभाने के लिए वचनबद्ध है।
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