उत्तर प्रदेश के मेरठ का एक निजी अस्पताल जल्द ही दो परिवारों के जीने का गवाह बनेगा. दरअसल इस अस्पताल में कुछ समय पहले अमरोहा और बरेली के दो परिवारों के मुखिया अपने गुर्दे का इलाज कराने पहुंचे थे. जिनकी किडनी फेल हो गई थी. अपने पति को बचाने के लिये उनकी पत्नी अपनी-अपनी किडनी देना चाहती थी, लेकिन पति-पत्नी के ब्लड ग्रुप एक न होने से प्रत्यारोपण संभव नही था. ऐसे में दो अगल-अलग सम्प्रदाय की महिलाओं ने अपने पति को जीवित रखने के लिए किडनी स्वैप करने का मन बना लिया.
ये है पूरा मामला-
- मौहम्मद असलम पिछले 27 साल से डायबिटीज के रोगी थे.
- दस साल पहले उन्हें किडनी प्रॉब्लम हो गई, जबकि मार्च 2017 में उनकी किडनी ने काम करना बंद कर दिया.
- उसके बाद उनकी बेगम ने अपने शौहर को जिंदगी देने के लिए अपनी किडनी दान देने का प्रस्ताव रखा.
- लेकिन चिकित्सकों ने दोनों का ब्लड ग्रुप अलग-अलग होने के कारण प्रत्यारोपण में अक्षमता जता दी.
- असलम का ब्लड ग्रुप A था जबकि उनकी बेगम का ब्लड ग्रुप B.
- इसी बीच चिकित्सक के पास बरेली के लालकिरण का मामला आया.
- हरदोई में तैनात पी डब्लू डी में अवर अभियंता लालकिरण की किडनी का प्रत्यारोपण होना था लेकिन इनके साथ भी समस्या यही थी.
- लालकिरण की पत्नी सरोज अपने पति को किडनी डोनेट करना चाहती थी.
- लेकिन लालकिरण का ब्लड ग्रुप B था जबकि उनकी पत्नी सरोज का ब्लड ग्रुप A था.
- इस पर विशेषज्ञ चिकित्सक संदीप गर्ग ने दोनों परिवारों को मिलवाया और आपस में रजामंद होने की सलाह दी.
- नतीजा सुखद निकला और अब संदीप गर्ग सरोज की किडनी मौहम्मद असलम को और सायराबानों की किडनी लालकिरण के शरीर में प्रत्यारोपित होगी.
डीएम के माध्यम से मांगी गई सरकार से अनुमति-
- हालांकि अभी इसमें कानूनी दिक्कत है.
- दोनों परिवारों ने डीएम के माध्यम से सरकार की अनुमति के लिए पत्र लिखा है.
- चिकित्सक और दोनों परिवारों को उम्मीद है कि अगले पंद्रह दिनों में अनुमति मिल जाएगी.
- जिसके बाद दोनों रोगियों के शरीर में किडनी प्रत्यारोपित की जाएगी.
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें