लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात क्लर्क सुरेन्द्र मोहन वर्तमान में गोमती नगर विराट खंड देख रहे है। इसका ताजा उदाहरण उसके द्वारा मुक्तेश्वर नाथ ओझा के विरुद्ध दर्ज करायी गई एफआईआर है जिसमें सफाई देते हुए वीसी ने खुद कहा था कि उसकी ओझा द्वारा फर्जी ढंग से प्लाट को पत्नी के नाम किये जाने का मामला सुरेन्द्र के क्षेत्र का है। इसलिए उसके द्वारा ही रिपोर्ट करवायी गई लेकिन पटल तबादले की सूची में उसकी वर्तमान तैनाती विधि में दिखाया गया और अब नवीन तैनाती संपत्ति विभाग में कर दी गई है। इसी तरह प्रधान लिपिक वीरेन्द्र कुमार बीते कई वर्षों से संपत्ति विभाग में जमे हैं। सूची में उसे संपत्ति विभाग से कानपुर रोड योजना देखने का कार्य दे दिया गया जिसमें कोई विशेष अंतर नहीं।
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उपाध्यक्ष का निर्णय महज दिखावटी
- हालांकि यह तो महज दो उदाहरण हैं। ऐसे ही कई कर्मचारी हैं जो एलडीए में जहां तैनात हैं।
- उन्हें कागजों में दूसरी जगह पर तैनात दिखाकर वर्तमान में वह जहां तैनात हैं, वहां उनका तबादला कर दिया गया।
- अब इसे एलडीए उपाध्यक्ष प्रभु एन. सिंह की अनदेखी कहें या फिर उनके कारिदों की साठगांठ से किया गया खेल।
- 51 लोगों की इस सूची में कई कर्मचारियों के मामलों में ऐसा किया गया।
- इन सब के बीच वीसी पर सवाल उठ रहे हैं कि सुरेन्द्र की नियुक्ति के मामले में वह वाकिफ थे।
- उसे विधि में दिखाये जाने की बात उन्होंने कैसे स्वीकार कर ली।
- दरअसल, प्रमुख सचिव आवास मुकुल सिंघल ने गुरुवार को एलडीए का दौरा किया।
- कार्य प्रणाली में पारदर्शिता के लिए प्रवर्तन दस्तों के अभियंताओं और कर्मचारियों के पटल के तबादलों की बात कही।
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- इसी कड़ी में एलडीए में 51 कर्मचारियों की सूची जारी की गई ।
- लेकिन, इस सूची में तमाम तरह की गड़बडिय़ां पायी गईं।
- आंखों में धूल झोक मलाईदार पटल पर तैनात कर्मचारियों को टस से मस नहीं किया गया।
- महज उनका कागजों में तबादला दिखा दिया गया।
- इसमें सूची में सपत्ति अनुभाग के रजिस्ट्री सेल में तैनात अब्दुल समी।
- सहित आलोक नाथ व अजय वर्मा को गोमती नगर फेज वन, दो व विस्तार का दायित्व दे दिया गया।
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- वही विमलेश व मुख़्तार का नजूल से ट्रस्ट में कर दिया गया।
- जिसे छलावे से अधिक कुछ नहीं कहा जा सकता।
- ऐसे में सवाल हैं कि पारदर्शिता का संकल्प लेकर आए वीसी की कार्यप्रणाली भी पहले के अधिकारियों से भिन्न नहीं।
- इस वजह से उनसे यह गड़बडिय़ां करवायी जा रही हैं।
- इस संबंध में उनका पक्ष लेने का प्रयास किया गया लेकिन उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
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