कन्या भ्रूण हत्या एक ऐसा जघन्य अपराध है जो भारत में बेहद तेजी के साथ बढ़ता जा रहा है। भारतीय समाज में तमाम ऐसी मान्यतायें सदियों से चली आ रही है जिसको इस अपराध का प्रमुख कारण समझा जाये तो गलत नही होगा। बेटा,श्मशान तक साथ चलेगा , मुखबाती देगा, बेेटे के पैदा होने से ही मुझे स्वर्ग की प्राप्ति होगी। अन्यथा मेरी आत्मा स्वर्ग न जाकर , इस मर्त्य लोक में ही, मृत्युपरांत भटकती रह जायेगी । मेरे नाम को आगे, बेटी कोख से जन्मी संतान नहीं ले जा सकती। ऐसी ना जाने कितनी मान्यतायें सदियाें से कन्या भ्रूण हत्या की वजह बनी हुई हैंं।
एक रिपोर्ट के अनुसार बुलन्दशहर कन्या भ्रूण हत्या के मामले में सबसे सवेंदनशील क्षेत्र है। ये रिपोर्ट पांंच राज्यों से ताल्लुक रखने वाली टीम ने जारी की है। इस रिपोर्ट को स्वास्थ विभाग के अफसरों ने केंद्र, और प्रदेश सरकार के पास भेज दिया है। केंद्रीय मंंत्रालय ने इस पर संंज्ञान लेते हुए अपने अफसरों को भ्रूण हत्या काेे निंयत्रित करने के निर्देश दिये है।
गौरतलब है कन्या भ्रूण हत्या की वजह से देशभर में लड़का और लड़कियों के बीच अनुपात लगातार बढ़ता जा रहा है। आंकड़ों के अनुसार, ऐसा पाया गया है कि पुरुष और महिला लिंगानुपात 1961 में 102.4 पुरुष पर 100 महिला, 1981 में 104.1 पुरुषों पर 100 महिला, 2001 में 107.8 पुरुषों पर 100 महिला और 2011 में 108.8 पुरुषों पर 100 महिला हैं।
भारत में लिंगानुपात लागतार घट रहा है। बेटों की संख्या के मुकाबले जन्म लेने वाली बेटियों की संख्या कम हैं। ये समस्या कितनी विकराल है इस बात का अन्दाजा इन आकड़ो से लगाया जा सकता हैै कि मौजूदा वक्त में एक हजार लड़को पर मात्र 812 लड़कियां हैं। ऐसेे में अगर सरकार के जिम्मेेदार लोगो ने इस समस्या का समाधान नही निकाला तो आने वाले वक्त में ये असुंंतलन और भी बढ़ सकता है।
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