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भारत के पराक्रमी सपूतों के बारे में अक्सर बातें होती हैं. उन सपूतों के बारे में, जिन्होंने देश के सम्मान को बचाए रखने के लिए दुश्मनों से लोहा लिया और भारत का मस्तक हमेशा ऊँचा रखा. देश की रक्षा के लिए इन वीरों के साथ कुछ और नाम ऐसे भी जुड़े हैं जिनके बारे में इतिहास कम बोलता है. दरअसल ये देशभक्त वे हैं जो अपने काम को अंजाम भी देते थे और किसी की नज़र में भी नहीं आते थे. जी हाँ हम बात कर रहे हैं भारत के जासूसों की जिन्हें कोई पहचान नहीं मिली और लेकिन उन्होंने अपना सर्वस्व इस देश की सेवा में लगा दिया.

देश में कुछ ऐसी महिला जासूस जिन्होंने अपनी बहादुरी की मिसाल कायम करते हुए होना साथ ही ये कुछ ऐसी वीरांगनायें हैं जिनके बारे में इतिहास कम बोलता है. आइये जानते हैं कौन थीं ये महिलाएं जिन्होंने अपने जीवन को देश के हित में बलिदान कर दिया था.

5 महिला जासूस जिन्हें देश नहीं भूलेगा:

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नूर इनायत खान :

noor inayat khan

  • नूर इनायत खान जिन्हें नूर-उन-निसा इनायत के नाम से भी जाना जाता है.
  • बता दें कि नूर भारतीय मूल की ब्रिटिश गुप्तचर थी.
  • नूर ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अपने मित्र देशों के लिए जासूसी का काम किया था.
  • बताया जाता है कि ब्रिटेन से फ्रांस के नाज़ी क्षेत्र में जाने वाली पहली महिला वायरलेस ऑपरेटर थीं.
  • इस काम के लिए उन्हें सालों तक प्रशिक्षण दिया गया था.
  • साथ ही वे पहली भारतीय महिला थीं जिन्हें स्पेशल ऑपरेशंस एक्जीक्यूटिव का पद दिया गया था.
  • फ्रांस में अपने ऑपरेशन के दौरान वे एक नर्स के रूप में काम करती थीं.
  • इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन को नाज़ी फ़ौज से जुड़ी कई अहम जानकारियाँ संकेतों के ज़रिये दी थीं.
  • जिसके बाद उन्हें जर्मनी की फ़ौज द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया था.
  • यही नहीं उनके कारावास के समय में उन्होंने कई यातनाएं झेली थीं परंतु फिर भी अपनी वास्तविकता को खुलने नहीं दिया था.
  • जिसके बाद कारावास में ही उनकी गोली मारकर ह्त्या कर दी गयी थी.

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 अज़ीज़-उन-निसा :

azeez un nisa

  • अज़ीज़ उन निसा या अजीजुन बाई नवीं सदी व मंगल पांडेय के समय से ताल्लुख रखती हैं.
  • बता दें कि पेशे से वे एक तवायफ थीं परंतु दिल से वे एक भारतीय जासूस थीं.
  • पेशे से एक तवायफ होने के बावजूद वे भारत को अपने दिल में रखती थीं.
  • जिस कारण वे ना तो नवाबों ना ही अंग्रेजों को अपने करीब आने देती थीं.
  • आपको बता दें कि अज़ीज़ उन निसा उत्तर प्रदेश से ही ताल्लुख रखती थीं साथ ही लखनऊ के नवाबों की महफ़िलों में अपनी कला का प्रदर्शन करती थीं.
  • बताया जाता है कि वे लखनऊ छोड़कर कानपुर जा बसी थी, उन्होंने अपने काम को अंजाम देने के इरादे यहाँ की ओर कूंच किया था.
  • इस दौरान कानपुर ब्रिटिश कैंटोनमेंट का एक अड्डा था, जहाँ युद्ध की योजनायें बनायी जाती थीं.
  • बता दें कि मंगल पांडेय द्वारा किये आंदोलन के चलते उत्तर प्रदेश में आंदोलन की एक आग सी लग गयी थी.
  • जिसके बाद उन से प्रेरित हो अज़ीज़ उन निसा ने भी अपने यहाँ आने वाले अंग्रेजों से सूचनाएं आन्दोलनकारियों को देना शुरू कर दिया था.
  • आपको बता दें कि उन्होंने अंग्रेजों के ऑफिसर्स क्लब में जाकर अफसरों को अपनी अदायों से रिझा कर उन्हें मौते के घाट उतारा था.

दुर्गा भाभी :

durga bhabhi

  • गुप्तचर दुर्गा भाभी जिनका पूरा नाम दुर्गावती देवीवास था शहीद भगत सिंह की सहायक थीं.
  • बताया जाता है कि दुर्गा भाभी क्रांतिकारी भगवती चरण बोहरा की पत्नी थीं.
  • उन्हें शुरू से ही अपने परिवार में भारत के प्रति निष्ठा का माहौल देखने को मिला था.
  • यही नहीं इन्होने एक बार शहीद भगत सिंह की पत्नी बनकर उन्हें बचाया था.
  • आपको बता दें कि वे उस समय में एक शिक्षक भी थीं जिसकी शिक्षा उनके पति द्वारा उन्हें दिलाई गयी थी.
  • यही नहीं उनके द्वारा कई ऐसे कामों को अंजाम दिया गया था जो उस समय महिलाओं के लिए असंभव हुआ करता था.
  • बता दें कि यह वह दौर था जब देश में साइमन कमीशन आया हुआ था जिसके विरोध में लाला लाजपत राय ने अपनी जान गवाई थीं.
  • जिसका बदला लेने के लिए उनके साथियों ने अंग्रेज़ अफसर को मार गिराने की योजना बनाई थी जिसने लाला पर लाठीचार्ज करने का आदेश दिया था.
  • परंतु एक दुविधा के चलते ह्त्या किसी और की हो गयी थी जिसके बाद यह खबर आग की तरह फ़ैल गयी थी.
  • बता दें कि उनके साथियों में भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव थे जिनको गिरफ्तार करने के बाद फंसी दे दी गयी थी.
  • जिससे दुर्गा भाभी के भीतर आक्रोश भर गया था जिसके चलते उन्होंने कुछ अंग्रेजों को गोलियों से भून कर अपना बदला पूरा किया था.

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 बीबी शरण कौर :

Bibi Sharn KaurJi

  • गुप्तचर बीबी शरण कौर का असल नाम शरनी था जो पंजाब के एक हिंदू परिवार से ताल्लुख रखती थीं.
  • बता दें कि मात्र सोलह वर्ष की आयु में उनका विवाह जगत राम से हो गया था जो उनके पास के गाँव के थे.
  • परंतु उनके विदा होने के साथ ही उन्हें डकैतों द्वारा अगवा कर लिया गया था.
  • जिसके बाद उनके पति सरदार हरी सिंह नलवा के पास गए और उनसे मदद की गुहार लगायी थी.
  • उन्होंने तुरंत अपने कुछ सैनिक डकैत के पीछे छोड़ दिए जहाँ उन्हें मार गिराया गया था.
  • बता दें कि इसके बाद बीबी सहारा कौर सरदार हरी सिंह नलवा की गुप्तचर बन गयी थीं.
  • उस समय पठानों द्वारा पंजाब पर कब्ज़ा किये जाने के चलते उन्हें वहां पठानों की शक्ति का पता लगाने को भेजा गया था.
  • जिसमे वे कई बार कामयाब रही और इतिहास में एक बेहतरीन महिला गुप्तचर के रूप में जानी जाती हैं.

सरस्वती राजामणि :

saraswathy rajamani

  • सरस्वती राजमणि का जन्म रंगून(बर्मा) मे हुआ था जो आज के समय में म्यांमार हैं.
  • बता दें कि रंगून उस समय में व्यापार के लिए मुख्या बताया जाता था.
  • राजमणि का परिवार शुरू से ही भारत के स्वतंत्रता आंदोलनों में रूचि रखता था साथ ही उनके पिटा ने कई आदोलनों में भाग भी लिया था.
  • मात्र 16 वर्ष की आयु में उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस के एक भाषण व भगत सिंह के त्याग से प्ररित होकर उन्होंने भारतीय गुप्तचर बनने का फैसला किया था.
  • जिसके लिए करीब दो साल तक उन्होंने अपना वेश बदलकर एक लड़के के रूप में नेताजी की फ़ौज में एक गुप्तचर का काम किया था.
  • बता दें कि इस दौरान उन्होंने नेताजी की आज़ाद हिन्द फ़ौज को अंग्रेजों से जुड़ी कई अहम जानकारियाँ दी थीं.
  • एक ऐसे ही वाकया के दौरान जानकारी को चुरा कर नेताजी को भेजने के बीच उन्हें पकड़ लिया गया था.
  • जिसके बाद वे किसी तरह वहां से भागने में कामयाब हो गयी थीं परंतु इस दौरान उनके पैर में गोली लगी थी.
  • यही नहीं उन्होंने अंग्रेज़ी सैनिकों से बचने के लिए करीब तीन दिन पेड़ पर ही काटे थी.
  • जिसके बाद वे किसी तरह अपनी जान बचाकर नेताजी की सेना के कैंप में पहुँच गयी थीं.

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