मीरापुर विधानसभा सीट मुजफ्फरनगर जिले की एक महत्वपूर्ण सीट है, जिसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी काफी अधिक है। मीरापुर कस्बा, जो इस विधानसभा सीट के नाम का आधार है, बहुत पुराना है और इसका उल्लेख ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में मिलता है। इस क्षेत्र में शुक्रताल का धार्मिक महत्व भी उल्लेखनीय है, जहां मान्यता है कि लगभग 5000 साल पहले शुकदेव स्वामी ने अभिमन्यु के पुत्र महाराज परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा सुनाई थी। इस धार्मिक स्थल के पास स्थित अक्षय वट वृक्ष, जिसके पत्ते कभी नहीं गिरते, श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र है।
मीरापुर विधानसभा सीट न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका राजनीतिक परिदृश्य भी पिछले वर्षों में लगातार बदला है।
मीरापुर विधानसभा सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की निर्णायक भूमिका है, जहां कुल 2,94,158 मतदाताओं में से लगभग 1,40,000 मुस्लिम वोटर हैं। इसके बाद जाट, गुर्जर, झोझा (मुस्लिम), कश्यप और पाल समुदाय के मतदाता आते हैं। 2017 के चुनाव में इस सीट पर कड़ा मुकाबला हुआ था, जिसमें भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना ने सपा के लियाक़त अली को मात्र 193 वोटों के अंतर से हराया था। भाजपा को 69,035 और सपा को 68,842 वोट मिले थे। बसपा के नवाजिश आलम खान तीसरे और रालोद के मिथिलेश पाल चौथे स्थान पर रहे थे।
2022 में यह सीट सपा-रालोद गठबंधन के खाते में गई, और जाट-मुस्लिम वोटबैंक ने इसमें अहम भूमिका निभाई।
मीरापुर विधानसभा का जातीय समीकरण
मीरापुर विधानसभा में क़रीब एक लाख 40 हज़ार मुस्लिम वोट हैं। उसके बाद जाट, गुर्जर, झोझा (मुस्लिम), कश्यप व पाल मतदाता हैं।
मीरापुर विधानसभा सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश की एक प्रमुख सीट है, जहां मुस्लिम, जाट, दलित और गुर्जर मतदाताओं की बहुलता है।
मुजफ्फरनगर जिले की मीरापुर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण इस प्रकार है:
1. मुस्लिम: लगभग 1 लाख 30 हजार वोटर
2. दलित: लगभग 50 हजार वोटर
3. जाट: लगभग 30 हजार वोटर
4. गुर्जर: महत्वपूर्ण संख्या में
5. प्रजापति, सैनी, पाल और अन्य पिछड़ी जातियां**: भी अच्छी संख्या में मौजूद हैं।
इस जातीय संतुलन में मुस्लिम, जाट, और दलित समुदायों का प्रमुख योगदान रहता है, जो चुनावी परिणामों को निर्णायक बना सकते हैं। मुस्लिम और जाट वोटबैंक इस क्षेत्र में सबसे अधिक प्रभावशाली माने जाते हैं, जबकि दलित वोटर भी समीकरण में अहम भूमिका निभाते हैं।