कानपुर नगर जिले की सिसामऊ विधानसभा सीट का जातीय समीकरण काफी विविध है।

कानपुर नगर की सीसामऊ विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी को 7 साल की सजा होने के कारण खाली हुई है। यह सीट अब सियासी चर्चा का केंद्र बन गई है। खास बात यह है कि बीजेपी को इस सीट पर जीत दर्ज किए हुए 28 साल हो चुके हैं, और अब आगामी चुनावों में पार्टी एक बार फिर इस सीट को जीतने की पूरी कोशिश कर रही है।

सीसामऊ सीट पर मुस्लिम, कायस्थ और ब्राह्मण मतदाताओं का खासा प्रभाव है, जिससे यह चुनाव और भी महत्वपूर्ण हो गया है। बीजेपी के लिए यह एक बड़ा मौका है, जबकि सपा इस सीट को बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक सकती है।

सीसामऊ विधानसभा का इतिहास

सीसामऊ विधानसभा सीट पर बीते दो चुनाव (2022 और 2017) में समाजवादी पार्टी के इरफान सोलंकी विजयी रहे। इससे पहले, 2012 तक यह सीट आरक्षित थी, लेकिन नए परिसीमन के बाद इसे सामान्य सीट घोषित कर दिया गया।

सियासी इतिहास पर नजर डालें तो, 2017 से पहले कांग्रेस ने इस सीट पर सबसे अधिक 5 बार जीत हासिल की है, जबकि भाजपा 3 बार विजयी रही है। समाजवादी पार्टी ने अब तक दो बार इस सीट पर कब्जा जमाया है। 1996 में बीजेपी ने आखिरी बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी, जिसके बाद से पार्टी को यहां फिर से जीत का इंतजार है।

सिसामऊ विधानसभा का जातीय समीकरण

कानपुर नगर जिले की सिसामऊ विधानसभा सीट का जातीय समीकरण काफी विविध है। 2024 के चुनावों के लिए यहां प्रमुख जातियों के वोटों का विशेष महत्व होगा। जातिगत आंकड़ों के अनुसार:

मुस्लिम: 80,000
कायस्थ: 60,000
ब्राह्मण: 50,000
दलित: 45,000
वैश्य (बनिया): 35,000
यादव: 25,000
कुर्मी: 20,000
पाल: 15,000
अन्य पिछड़ी जातियां: 30,000

इस विधानसभा सीट पर मुस्लिम और कायस्थ मतदाताओं का दबदबा है, जबकि ब्राह्मण, दलित, और वैश्य मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इन जातीय समीकरणों के आधार पर सभी राजनीतिक दलों को अपनी रणनीति तैयार करनी होगी।

 

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