इंदीवर अशोक भाटिया, श्री ओमकार आर्ट्स और सावित्री क्रिएशन के श्रीधर चारी ने कई फिल्मों को प्रोड्यूस करने के लिए हाथ मिलाया है। फिल्मों को फिल्ममेकर राजू पारसेकर डायरेक्ट करने वाले हैं। इस अवसर पर गेस्ट के रूप में श्री प्रकाश गाइकर वहाँ मौजूद थे।
श्रीधर चारी और राजू पारसेकर के साथ अपने कोलाबोरेशन के बारे में बात करते हुए अशोक ने कहा, “बहुत बार हमने देखा है कि अगर एक अच्छी फिल्म को अच्छी रिलीज नहीं मिलती है, तो यह बॉक्स-ऑफिस पर काम नहीं करती है। हम साथ आना चाहते थे क्योंकि मैं कई सालों से राज पारसेकर सर की फिल्में देख रहा हूं। एक डायरेक्टर के रूप में वह जिस तरह से कंटेंट को हैंडल करते है चाहे वह कॉमेडी हो या कोई और जॉनरा वह मुझे बहुत पसंद है।”
“मुझे लगता है कि सभी फिल्मों का मार्केटिंग करने का अपना एक अलग तरीका होता है। आप केवल फिल्म के पोस्टर, प्रोमो, सॉन्ग और फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज नही कर सकते हैं। मुझे लगता है कि हर फिल्म का अपना एक ऑडियंस होता है और हर ऑडियंस के लिए, एक फिल्म होती है, इस थ्योरी के अनुसार हम फिल्म मेकिंग के फील्ड का पता लगाना चाहते हैं, इसीलिए मैंने श्रीधर चारी साहब के साथ हाथ मिलाया है और हम फ्यूचर में भी इस एसोसिएशन को जारी रखने के लिए उत्सुक है।”
मराठी सिनेमा के विकास के बारे में बात करते हुए, अशोक भाटिया ने कहा, “मुझे लगता है कि मराठी फिल्मों का कंटेंट बहुत अच्छा रहा है। इसे दुनिया के सभी हिस्सों में पसंद किया जा रहा है। 2004 में आयीं मराठी फिल्म “श्वास” ऑस्कर अवार्ड्स तक पहुंची और मराठी फिल्म को वेस्टर्न सर्कल और यूरोपीय देशों में भी बहुत पहचान मिली क्योंकि मराठी फिल्मों में कंटेंट की कोई लिमिट नहीं होती है।”
अशोक ने कहा “मराठी फिल्म अपने स्टार कास्ट पर निर्भर नहीं करती है। आज कोई भी हीरो बन सकता है और उसकी फिल्म बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ का कलेक्शन कर सकती है और ‘सैराट’ (2016) इसका एक सही उदाहरण है। लेकिन आप हिंदी फिल्मों में ऐसा नहीं देख सकते हैं, जहां एक नए एक्टर की फिल्म के कंटेंट की वजह से फिल्म ने बॉक्स-ऑफिस पर 100 करोड़ का कलेक्शन किया हो। ‘सैराट’ के कंटेंट, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर बहुत अच्छे थे, लेकिन इसकी हिंदी रीमेक ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नही किया। हम हर तरह के जॉनरा चाहे वह कॉमेडी हो, रियल लाइफ सिनेमा हो या फिर इंस्पायरेशनल फिल्में हो, प्रोड्यूस करेंगे। और हम वुमेन इमपॉवर्मेंट पर भी फिल्में बनाना चाहेंगे।”
कोलाबोरेशन के बारे में बात करते हुए, श्रीधर चारी ने कहा, “यह अनाउंसमेंट करने में मुझे बहुत खुशी है कि मराठी फिल्मों को प्रोड्यूस करने के लिए मैंने अशोक भाटिया और श्री ओमकार आर्ट्स के साथ हाथ मिलाया है। आज, हमने कुछ फिल्में साइन की हैं, अभी तो बस शुरुआत है और यह बहुत जल्द ही मीलों तक जाएगी।”
मराठी फिल्मों के बिजनेस के बारे में बात करते हुए, श्रीधर चारी ने कहा, “मुझे लगता है कि मराठी फिल्में अपनी स्टार-कास्ट के कारण नहीं बल्कि अपने कंटेंट के कारण चलती है। यहां तक कि आप “एलिजाबेथ एकादशी” (2014) जैसी फिल्म का उदाहरण ले सकते हैं, जहां उस फिल्म की स्टार-कास्ट नई थी, लेकिन फिल्म ने अपने कंटेंट और वर्ड ऑफ माउथ पर अपना कारोबार किया। अगर लोग खुश होते हैं, तो वे जाते हैं और फिल्म देखते हैं।”
यह पूछे जाने पर कि क्या वे मराठी फिल्मों को मिलने वाली सब्सिडी के लिए स्टेट गवर्नमेंट से उम्मीद रखते हैं तो श्रीधर चारी ने कहा, “फिल्म रिलीज होने के बाद आपको सब्सिडी मिलती है, यह इस पर आधारित होता है कि फिल्म ने कितना अच्छा प्रदर्शन किया है। सब्सिडी पाने के लिए, एक कमीटी होती है और स्टेट गवर्नमेंट के पास केवल 5 करोड़ की सब्सिडी होती है, इसलिए हर फिल्म को सब्सिडी नहीं मिलती है। यह सब कंटेंट और उन मार्क्स पर निर्भर करता है जो कमीटी फिल्म को देती हैं।”
श्रीधर चारी के बयान के बाद अशोक भाटिया ने इसका जवाब देते हुए कहा, “हम अपने कंटेंट में इतना विश्वास करते हैं कि हम सब्सिडी की उम्मीद नही करते हैं। मेरा मानना है कि मेरा कंटेंट अच्छा पैसा कमा सकता है और सब्सिडी उन फिल्ममेकर को दी जाती है जो अपनी फिल्मों के बजट को रिकवर करने के लिए स्ट्रगल कर रहे होते हैं।”