अवध की मिट्टी-पानी और हवाओं की कोख से निकलकर जीवन के आंसुओं और मुस्कानों को जुबान देने वाले सैकड़ों गीत जब एक स्त्री के कंठ का गहना बन जाते हैं, तो विरासत अपने भविष्य पर मुस्कुरा उठती है कि उसने अपना सच्चा उत्तराधिकारी हासिल कर लिया है। मालिनी अवस्थी एक ऐसी ही सुरीली आश्वस्ति के साथ अपनी धरती के छन्द गुनगुना रहीं हैं। कभी अपनों के बीज किसी छोटी सी महफिल में तो कभी भीड़ भरे किसी जलसे के मंच पर। आवाज और अंदाज के निरालेपन से भरपूर मालिनी की आवाज निश्चित तौर पर श्रोताओं के दिलों-दिमाग पर असर करती है। आवाज का यह असर अब सरहदों के फासले पार करता हुआ विश्वभर में फैल रहा है, मालिनी अब शोहरत की मल्लिका बन गई हैं।