भारतीय टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के जीवन पर आधारित फिल्म अजहर का पिछले कुछ दिनों से बेसबरी से इन्तेजार किया जा रहा था। आज ये फिल्म बड़े परदे पर रिलीज हो गई है। ऐसी उम्मीद लगाई जा रही थी कि इस फिल्म में दर्शको को एक जबरदस्त कहानी देखने को मिलेगी लेकिन फिल्म की कहानी देखने के बाद पता चलता है कि इसमें ऐसा कुछ भी खास नहीं है जिसकी उम्मीद सिनेप्रेमी इस फिल्म से लगाये हुए थे।
फिल्म की शुरूआत हैदराबाद के एक घर से होती है जहां एक छोटा सा बच्चा अपने छाटे-छोटे हाथों से क्रिकेट का बैट पकड़कर क्रिकेट खेलने के लिए अपने नाना के साथ अपने घर से निकल पड़ता है। इस बच्चे का क्रिकेट का बेहद शौक है। जैसे जैसे ये बच्चा बड़ा होता जाता है, क्रिकेट खेलने का इसका जुनून भी बड़ता जाता है। बड़े होकर यह ही मौहम्मद अजहरुद्दीन (इमरान हाशमी) बनता है। देखते देखते अजहरुद्दीन का सिलेक्शन भारतीय क्रिकेट टीम में हो जाता है। भारतीय टीम में आते ही अजहर की जिन्दगी में एक लड़की भी आ जाती है। अजहर इस लड़की से शादी कर लेता है। कुछ ही सालों बाद अजहर दूसरा निकाह भी कर लेता है।
अजहर की जिन्दगी में सबसे अहम मोड़ तब आता है जब उनके ऊपर मैच फिक्सिंग का आरोप लग जाता है। मैच फिक्सिंग के आरोपो की वजह से उनकी लोकप्रियता धीरे धीरे खत्म हो जाती है। इसके बाद जिस तरह के घटनाक्रम होते है, उसी को दिखाने की कोशिश इस फिल्म में की गई है।
इस फिल्म की कहानी बेहद कमजोर है जिसकी वजह से आप अजहर के इमोशंस से खुद को कनेक्ट नहीं कर पाते। फिल्म कही कही खुद में काफी कन्फ्यूज नजर आती है, जो और भी बेहतर हो सकती थी। इसमें अज़हर को सिर्फ और सिर्फ गुड लुक्स में दिखाने की कोशिश की गई है।