पिछले कुछ सालों से भारतीय सिनेमा में मनोंरजन के नाम पर फूूहड़ता और अश्‍लीलता परोसी जा रही है। ऐसी तमाम फिल्‍में सामने आ चुकी हैंं जिनमें कहानी को छाेेड़कर वो सब कुछ होता है जिसेे देखकर और सुनकर या तो दर्शक ताली बजाते है या इस बात की चिन्‍ता करते है कि ये सब देखकर और सुनकर आने वाली पीढ़ी के ऊपर कितना नकारात्‍मक प्रभाव पड़ने वाला है।

फूहड़ कामेंडी और जोक्‍स को आधार बनाकर हाउसफुल 3 की कहानी लिखी गई है। इस फिल्‍म में ऐसा कुुछ भी नही है जिसे देखने आपको सिनेमाघर में जाने की जरूरत है। इस कहानी में जो किरदार दिखाये गये हैंं और उन्‍होंंने जिस तरह के डॉयलाग बोले है वो अाप किसी भी सड़कछाप इन्‍सान की जबान से सुन सकतेे हैैंं।

कुल मिलाकर फिल्‍म की कहानी ये है कि एक पिता को अपनी तीन बेटियों की शादी किसी भी हालत में नही होने देनी है। उसका ये विश्‍वास है कि अगर उसकी किसी भी बेटी की शादी होती है तो शादी के कुछ ही दिन बाद उसका पति मर जायेगा और वो विधवा हो जायेगी। अपनी पिता की इस सोच के विपरीत उसकी तीनों बेटिंंया शादी करनाा चाहती हैंं। उन्‍होने अपनी शादी के लिए लड़के भी तय कर लिये है। अपने पिता को अपनी शादी करने के लिए वो किस तरह राजी करती हैंं यही इस फिल्‍म में दिखाया है।

फिल्‍म में कई वन और टू लाइनर जोक्‍स है जिसे आपने फेसबुक और अन्‍य सोशल नेटवर्किग साइडो पर पहले ही सुन लिया होगा। अगर ऐक्टिग की बात की जाये तो सिवाय अक्षय कुुमार के सबने बुरी तरह निराश किया है। फिल्‍म में दिखाई गई तीनों अभिनेत्रिया विदेशी मूल की है इसलिए उन्‍होने अपने डाॅॅयलाग बोलने में ही काफी गलतियां की है। फिल्‍म देखने के बाद ऐसा लगता है कि फिल्‍म के डायरेक्‍टर साजिद-फरहाद ने इन तीनों को सिर्फ नाचने गाने के लिए ही अपनी फिल्‍म में लिया है।

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