ढाका में आतंकियों के हमले के बाद फिल्म स्टार इरफ़ान खान ने मुस्लिम समुदाय से सवाल पूछा है। ढाका हमले की चारों ओर निंदा की जा रही है और इसी बीच इरफान ने फेसबुक पोस्ट के माध्यम से अपनी बात रखी है जिसपर बहुत तेजी से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
‘बचपन में मज़हब के बारे में कहा गया था कि आपका पड़ोसी भूखा हो तो आपको उसको शामिल किए बिना अकेले खाना नहीं खाना चाहिए। बांग्लादेश की ख़बर सुनकर अंदर अजीब वहशत का सन्नाटा है |’
‘क़ुरान की आयतें न जानने की वजह से रमज़ान के महीने में लोगों को क़त्ल कर दिया गया। हादसा एक जगह होता है और बदनाम इस्लाम और पूरी दुनिया का मुसलमान होता है। वो इस्लाम जिसकी बुनियाद ही अमन, रहम और दूसरों का दर्द महसूस करना है। क्या फिर मुसलमान चुप बैठा रहे और मज़हब को बदनाम होने दे?
या वो ख़ुद इस्लाम के सही मायने को समझें और दूसरों को बताए कि ज़ुल्म और क़त्ल करना इस्लाम नहीं है |’
इरफ़ान खान ने जयपुर में अपनी फिल्म के प्रमोशन के दौरान कहा था कि, ‘बाजार से दो बकरों को लाकर काट देने को कुर्बानी नहीं कहते है। कुर्बानी का अर्थ होता है कि आप अपनी किसी चीज को उस दिन से करना छोड़ दे उसे कुर्बानी कहते है।’
इस बयान के बाद मुस्लिम समुदाय के बहुत लोगों ने इरफान खान पर प्रहार किया था लेकिन इरफ़ान खान ने अपने फेसबुक पोस्ट पर फिर लिखा था, ‘मै ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूँ कि मै ऐसे किसी देश में नहीं रहता हूँ जिसे धर्म के ठेकेदार चलाते है और मै किसी धर्म के ठेकेदार से नहीं डरता हूँ।’