1894 से रुडयार्ड किपलिंग की किताब द जंगल बुक’ की कहानियों पर अब तक कई टेलीविजन शो और फिल्म बन चुकीं हैं। तब से ‘द जंगल बुक’ की कहानियाँ सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के बच्चों की पसंदीदा रहीं हैं। भारत में 80 और उसके बाद के दशकों में शायद ही कोई ऐसा बच्चा रहा होगा, जिसने ‘मोगली’, ‘शेरखान’, ‘बघीरा’ का नाम न सुना हो। नेशनल टेलीविजन पर पर भी ‘द जंगल बुक’ सीरीज दिखाई जा चुकी है। लेकिन इसी सीरीज की नई फिल्म ‘द जंगल बुक’ को सेंसर बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) के चीफ पहलाज निहलानी ने ‘यू/ए’ सर्टिफिकेट दिया है, क्योंकि पहलाज निहलानी को लगता है कि इस फिल्म में दिखाये जाने वाले 3D इफेक्ट दर्शकों को डरा सकते हैं।
● ‘आयरन मैन’ और ‘शेफ’ जैसी शानदार फिल्मों निर्देशन कर चुके डायरेक्टर जॉन फेवरू ने नए अंदाज में ‘द जंगल बुक’ को बनाया है।
● 8 अप्रैल को रिलीज हो रही इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने ‘यू/ए’ सर्टिफिकेट ने दिया है। इसका मतलब है बच्चे इस फिल्म को केवल बड़ों की देखरेख में ही देख पायेंगे।
● सीबीएफसी के चीफ पहलाज निहलानी का कहना है इस फिल्म में दिखाए गए 3D इफेक्ट बच्चों को भयभीत कर सकते हैं।
● पहलाज निहलानी का कहना है कि इस फिल्म के 3D इफेक्ट में जानवर दर्शकों के कूदते हुए प्रतीत होते हैं, जो बहुत ही भयावह है। उन्होंने कहा कि यह माता-पिता ही निश्चय करें कि ये इफेक्ट उनके बच्चों पर कितना प्रभाव डालते हैं।
यह बहुत ही निंदनीय है कि खासतौर से बच्चों के लिए बनाई गई इस फिल्म को ‘यू/ए’ सर्टिफिकेट दिया गया है। जबकि पिछले साल आई ‘प्रेम रतन धन पायो’ और ‘बाजीराव मस्तानी’ जैसी फिल्मों को सेंसर बोर्ड से ‘यू’ सर्टिफिकेट मिला था, जबकि इनमें लड़ाई और मौतों के सीन दिखाए गए थे।
फिल्म के संगीतकार विशाल भारद्वाज का कहना है कि यह बहुत ही खूबसूरत फिल्म है, इस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके लिए इसे ‘यू/ए’ सर्टिफिकेट दिया जाए।
उनके अलावा निर्देशक विक्रम भट्ट और अभिनेता आयुष्मान खुराना ने भी सेंसर बोर्ड के इस फैसले को पूरी तरह से गलत ठहराया है। जाहिर है कि सेंसर बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन को अपने मूल्यांकन करने वाले बिन्दुओं पर विश्लेषण की आवश्यकता है।