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जानें रावण के अदभुत रहस्य, पंडित और पुजारी से भी बढ़कर था लंका नरेश

लंकेश ”रावण” जो की लंका का राजा था. रावण एक ऐसा नाम है जिस नाम से पूरे ब्रह्मांड में या पूरी दुनिया में और कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं है. राजाधिराज लंकाधिपति महाराज रावण को दशानन भी कहते हैं. इस बात से हम बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता कि रावण में तमाम बुराईयां थीं. पर ये भी सभी लोग जानते है कि वो प्रकांड पंडित था. रावण ने अपने समय में भले ही बहुत बुरे काम किये हो, लेकिन उसके बावजूद उसके साथ ऐसी कई चीज़े जुड़ी है जिसे जानकर आप सभी को हैरानी होगी. आज भी ऐसे कई लोग और जगह है जहां रावण को पूजा जाता है.  

जिसने यम तक को हरा दिया:

कहते हैं रावण अपने विजय अभियान को लेकर यम लोक तक पहुँच गया था , जहां उसने यमराज तक को बंदी बना लिया था,

वह प्रकृति के नियम बदलना चाहता था | वह चाहता था मृत्यु जैसी अवस्था का अंत कर दिया जाए मगर ये संभव न हो सका |

क्रोध में शनि पर आक्रमण कर बैठे लंका नरेश:

रावण के पिता विश्र्वा बहुत ही प्रसिद्ध ऋषि थे. जो की प्रजापति पुलस्त्य के बेटे थे. पुलस्त्य ब्रम्हा जी के दसवे पुत्र कहलाते थे.

एक दिलचस्प बात बताते है आपको जब रावण के पुत्र मेघनाद  का जन्म हुआ था,

तो रावण ने सभी ग्रहों को 11वे गृह में रहने का आदेश दिया था  जिससे उसका बेटा सदा अमर और अज़र रहे.

लेकिन रावण के इस आदेश का पालन शनि देव ने अपनाने से मना कर दिया और 12वे गृह में चले गये.

शनि देव के इस व्यवहार से रावण क्रोधित हो गया और उसने शनि पर आक्रमण कर उसे अपने कैद में कर लिया था.

जब कवि बन गया रावण :

रावण भगवान शंकर का अनन्य भक्त था, वह चाहता था कि संसार में वह ही शिव का सबसे बड़ा भक्त कहलाये, इसलिए उसने भगवान के निवास स्थल कैलाश पर्वत को उठा कर अपनी लंका में ले जाने की चेष्टा की|

 

उसने अपनी पूरी शक्ति से पर्वत उठा लिया | किन्तु शिव जी नहीं चाहते थे कि उनके भक्तों में कोई तुलना की जाए इसलिए वे रावण के हठ से क्रुद्ध हो गए और कैलाश को अपने अंगूठे से दबा दिया,

रावण उसमें दब जाने ही वाला था कि उसने तुरंत क्षमा याचना करते हुए एक अति सुंदर काव्य रचना की,

जिसमें शिवजी के तांडव नृत्य का वर्णन किया गया है | वह अलौकिक काव्य रचना आज “शिव तांडव स्रोत्त” के नाम से जानी जाती है |

वह जिससे डर गया था रावण:

रावण अति अभिमानी था वह हर बलवान व्यक्ति को चुनौती दे डालता था , एक बार उसने किष्किन्धा नरेश वानर राज बाली को युद्ध के लिए ललकारने की भूल कर दी |

जिस पर बाली ने रावण को अपनी कांख में दबोच लिया | और तप करने के लिए निकल पड़े,

लगभग दस माह तक रावण को बाली ने दबोचे रखा और कई समुद्रों की यात्रा की,

उसके बाद रावण ने भय से बाली के सामने मित्रता का प्रस्ताव रख दिया|

हार के पीछे मंदोदरी भी थी अहम कारण:

श्री राम और रावण का युद्ध लोग आज भी याद करते है. इस युद्ध के बारें में कहा गया की इस दिन बुरे पर अच्छाई की जीत हुई.

बावजूद इसके इस युद्ध के दौरान रावण ने अपनी जीत के लिए कई यज्ञ किये थे.

जिसको देखते हुए श्री राम और लक्ष्मण रावण को हराने के लिए रणनीति बनाने अंगद के पास पहुंचे.

इस रणनीति में मंदोदरी का नाम शामिल हुआ . मंदोदरी को रावण को विचलित करने के लिए बुलाया गया था.

और ये भी माना जाता है की श्री राम से रावण की हार के पीछे मंदोदरी भी एक अहम कारण है.

न जाने ऐसे कई किस्से है जिन्हें हम जानते नही है, अगर आप जानते है तो जरुर हमे कमेंट कर के बताये.

 

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