Nitesh Tiwari Hints At Adapting Satyam Srivastava’s ‘The Wielder Of The Trishul’
लेखक सत्यम श्रीवास्तव की ट्रिओलॉजी सागा “द विल्डर ऑफ द त्रिशूल” ( The Wielder of the Trishul ) को लीडिंग पब्लिकेशन “लीडस्टार्ट इंकस्टेट” के ज़रिये हाल ही में लॉन्च किया गया। सत्यम द्वारा लिखी गई इस बुक का समर्थन करते हुए अवॉर्ड विनिंग फिल्ममेकर Nitesh Tiwari ने सत्यम के राइटिंग स्टाइल की भी तारीफ की।
माइथोलॉजिकल फिक्शन के जॉनर में कहानी लिखने की लिस्ट में एक और बहुत ही शानदार राइटर का नाम जुड़ गया है, जिनका नाम सत्यम श्रीवास्तव है। सत्यम ने एक नई बुक “द विल्डर ऑफ द त्रिशूल’ लिखी है, जिसमें उन्होंने माइथोलॉजी कथाओं को काल्पनिक तरह से पेश किया है। सत्यम की इस बुक को हाल ही में फिल्ममेकर नितेश तिवारी द्वारा लॉन्च किया गया।
फिल्ममेकर नितेश तिवारी ने सत्यम की इस माइथोलॉजी बुक को लॉन्च करने में अपनी खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा, “तीन वजहों से मैं सत्यम को बुक लॉन्च करने के लिए मना नहीं कर पाया। पहला, हमारा IIT कनेक्शन है, दूसरा हम एक ही हॉस्टल में रहे और तीसरा, माइथोलॉजी कथाओं के प्रति मेरा प्यार। सत्यम ने मुझे साइन्ड कॉपी भेजी थी और सिर्फ दो चैप्टर पढ़ते ही मैं बुक से पूरी तरह जुड़ गया। हालांकि उन्होंने कहानी में एक काल्पनिक दुनिया बनाई है, लेकिन साथ ही उन्होंने बड़ी चतुराई से कुछ पौराणिक कथाओं को भी शामिल किया है।”
आपको बता दें कि ‘द विल्डर ऑफ द त्रिशूल’ की कहानी माइथोलॉजिकल कथाओं पर आधारित है और यह अंग्रेजी, हिंदी और मराठी भाषाओं में भी उपलब्ध है।
Nitesh Tiwari ने सत्यम की राइटिंग स्टाइल की तारीफ करते हुए कहा कि वे उनकी राइटिंग स्टाइल से काफी प्रभावित हैं, और फ्यूचर में वे इस कहानी को अपनी फिल्म के लिए भी एडाप्ट कर सकते हैं। उन्होंने कहा, “सत्यम ने माइथोलॉजिकल किरदार के साथ एक दुनिया बुनी है, और मैं इसके लिए बहुत उत्साहित हूं। अगर मुझे पूरी कहानी पसंद आयी तोह मै फ्यूचर में मैं इसे अपनी एक फिल्म के लिए भी एडाप्ट कर सकता हूं।”
Nitesh Tiwari ने आगे कहा, “सत्यम के लिखने का स्टाइल साधारण है और साथ ही इसे बहुत ही खूबसूरती से गढ़ा गया है। एक रीडर होने के नाते साधारणता मेरे लिए बहुत मायने रखती है।”
वहीं सत्यम ने कहा, “यह गाथा इंद्र और वृत्रा पर आधारित है। हमारी पौराणिक कथाओं में नायक और खल नायक, ये दोनों का ही किरदार काफी स्ट्रांग होता है । हम सभी ही इंद्र और वृत्र की कहानी जानते हैं, लेकिन हमने इसे एक काल्पनिक तरह से लिखा है। इस तरह की कहानी यकीनन सभी को पसंद आएगी। इसलिए मैंने इसे कई भाषाओं में ट्रांसलेट भी किया है।”