राजधानी लखनऊ में पंकज कपूर के उपन्यास “दोपहरी” का मंचन किया गया। लाल हवेली की “अम्मा बी”, जुम्मन व उसके दोस्त नत्थू, अम्मा बी के भाईजान सक्सेना जी, सबीहा और अमेरिका में बसे उनके पुत्र जद्दू (जावेद), के मुख्य किरदारों के साथ लाल हवेली में अम्मा बी के अकेलेपन की साथी, उनके आँगन में उतरती दोपहर की धूप, के इर्दगिर्द घूमते एक लघु उपन्यास का आख्यान पंकज कपूर द्वारा संत गाडगे सभागार में किया गया।
इस उपन्यास के रचियता भी पंकज कपूर हैं और उनके आख्यान से इन किरदारों का मंच पर सजीव होना एक बेहतरीन अनुभव था। सुप्रिया पाठक द्वारा प्रस्तुत इस मंचन ने शाम को “दोपहरी” में कुछ यूँ बदला की सभागार में उपस्थित सभी के दिलों नें “अम्मा बी” के साथ उनके हर दर्द को महसूस कर लिया।
भारतीय थिएटर, टेलीविज़न और सिनेमा के लिए पंकज कपूर का नाम चिरपरिचित है। तीन राष्ट्रीय फ्लिम पुरस्कारों द्वारा सम्मानित, और अपनी हर भूमिका से अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुके, उन्होंने इस लघु उपन्यास के हर मार्मिक पहलु को मंच पर बेहद प्रभावशाली अंदाज़ में प्रस्तुत किया। लखनऊ की ज़मींन पर सजे इस लघु उपन्यास का लखनऊ में मंचन शहर के लिए इस चिलचिलाती गर्मी में एक दिलखुश, ठंडी सी “दोपहरी” की हसींन शाम दे गया।