टीम हवाबाजी ने आज लखनऊ ओपन माइक के आठवां संस्करण शिरोज़ हैंंगाउट में अपरान्ह 3 बजे से आयोजित किया है। लखनऊ ओपन माइक की यह कोशिश रहती है कि वह अपने कलाकारों एवं दर्शकों के लिए हर बार कुुुछ नया लेकर आए और इसी कोशिश में आठवें सस्करण का थीम “Lost and Found” रखा गया था।

‘कुछ पा कर खोना है, कुछ खो कर पाना है’ ऐसी ही खट्टी- मीठी कहानियों और कविताओं के नाम रही लखनऊ ओपन माइक की ये खूबसूरत शाम। शाम की शुरुआत निशा ने -बशीर बद्र की खूबसूरत पंक्तियों ‘ जो गुज़र गया सो गुज़र गया’। अभी शर्मा ने अपने बचपन के दोस्त को खोने का दर्द को बयां किया। शान्तनु के भावुक शायरी ‘ मैनै जिया है मौत को, जिन्दगी को रोते देखा है’। प्रसून ने किस तरह नशे में अपना होश गवाया, इस पर लोगों को गुदगुदाया।

लखनऊ ओपन माइक हमेेशा से ही अपने अनूठे अंदाज़ के लिए जाना जाता है और इसने शहर को बहुत से कलाकार दिए हैं। साथ ही बहुत सेे लोगों को एक ऐसा मंच प्रदान किया है जहाँ वे खुलकर बिना किसी हिचक के अपनी बात सबके सामने बोल सकते हैं। यह इस वर्ष का पहला कार्यक्रम था और निश्चित तौर पर ही इसने सभी के दिलों को छू लिया।

शहर मे ओपन माइक का चलन लाने वाली टीम हवाबाज़ी आज भी न तो अपने प्रतिभागियों से और न ही दर्शकों से किसी भी तरह का शुल्क लेती है जो कि अपने आप मे एक सराहनीय बाात है। हर बार इसे लोगो ने सराहा है और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है। इस शहर को बहुत से नायाब कलाकारों से रूबरू कराने मे लखनऊ ओपन माइक का योगदान सराहनीय है।

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