एक मां के लिए इससे बड़ा कोई सदमा नहीं हो सकता कि उसकी ऑखों के सामने उसकी जवान बेटी अचानक इस दुनिया से हारकर मौत को गले लगा ले। बेटी की मौत के बाद एक मां के दिल पर क्या बीतती है इसे वो ही मां बता सकती है जिसने अपनी बेटी को खोया हो।
प्रत्यूषा बनर्जी की मां को जब अपनी बेटी की मौत की खबर मिली होगी तो उनके ऊपर क्या बीती होगी, इसका अनुमान लगाना एक इन्सानी दिमाग के लिए असंभव है। जवान बेटी की लाश देखने के बाद किस तरह एक मां ने अपने होश को संभाला होगा, यह सोचकर आंखें आंसू बहाने के लिए मजबूर हो जाती हैं। ऐसे हालातों में एक मां इस काबिल भी नहीं रह पाती कि वो किसी से बात कर सकें। ऐसे नाजुक पलों में डाली बिंद्रा ने जिस लहजें में प्रत्यूषा बनर्जी की मां से बात की, उसे सुनकर एक पत्थर दिल भी पिघलकर पानी हो जायें।
डॉली बिंद्रा ने किया मानवता को शर्मसार करने वाला काम
- सब कुछ जानतें हुए एक बदहवास रोती हुई मां से यह पूछना कि उनकी बेटी के साथ क्या हुआ और वो कहां लटकी.
- ऐसा अमानवीय और सवेंदनहीन काम है जो इन्सान को उस मुकाम पर लाकर खड़ा कर देता है जहां इन्सान को इन्सान कहते हुए भी शर्म आने लगे।
- डाली बिंद्रा और बेटी की मौत के सदमें के बाद बदहवास प्रत्यूषा की मां के बीच होने वाली बातचीत का यह अशं इन्सानियत के घुटते हुए गले को बयान करने के लिए काफी है।
- भले ही प्रत्यूषा ने फांसी लगाकर खुदकशी की हो लेकिन मानवीय भावनाओं की इस तरह सवेंदनहीन होना यह बताने के लिए काफी है कि हमने अपने अन्दर मौजूद इन्सान को कब का खत्म कर दिया है।
- डाली बिंद्रा ने जिस तरीके से एक रोती हुई मां से बात की.
- उसे सुनने के बाद हम सब को यह सोचना पड़ेगा कही ऐसा तो नहीं कि पैसे के पीछे भागते भागते हम सब ने अपने आपको एक जिन्दा लाश बना लिया है.
- जिसके अन्दर सवेंदनाऐं और भावनाओं का कोई स्थान नहीं है।