हिन्दी फिल्मों के मशहूर अभिनेता इरफान खान आजकल कुर्बानी को लेकर दिये गये अपने बयान की वजह से तमाम मुस्लिम धर्मगुरूओंं के निशाने पर है। अभी हाल ही में अपनी फिल्म ‘मदारी’ के प्रमोशन के दौरान इरफान खान ने बकरीद में होने वाली कुर्बानी को लेकर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा था कि कुर्बानी का मतलब ये नही है कि किसी जानवर को खुदा की राह में कुर्बान कर दिया जाये, हम कुबार्नी का मतलब भूल गए हैं, हमने उनका तमाशा बना दिया है। कुर्बानी एक अहम त्यौहार है। कुर्बानी का मतलब बलिदान करना है। किसी दूसरे की जान कुर्बान करके आप भला क्या बलिदान कर रहे हैं।’
गौरतलब है कि इस बयान के बाद देश के तमाम मुुस्लिम धर्मगुरू इरफान खान के खिलाफ बोलते हुए नजर आ रहे है। इरफान खान ने अपने तमाम आलोचकोंं काेे करारा जवाब देते हुए कहा है कि वो एक ऐसे देेश में रहते है जो लोकताांंत्रिक है। यहांं किसी मजहब का कानून नही चलता है। धर्मगुरूओं की तरफ से अपने खिलाफ आने वाले बयानों पर इरफान खान ने कहा कि उन्हें धर्मगुरूओं से डर नही लगता है। मेरे लिए धर्म व्यक्तिगत आत्मविश्लेषण है, यह करुणा, ज्ञान और संयम का स्रोत है, यह रूढ़ीवादिता और कट्टरता नहीं है।
आपको बताते चले कि इरफान के बयान पर जयपुर के एक हाजी मौलाना खालिद उस्मानी ने कहा था कि इरफान अभिनेता हैं और उन्हें सिर्फ अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। इस अभिनेता को धार्मिक ज्ञान नहीं है और उन्हें कुर्बानी या रमजान पर सवाल उठाने से पहले किसी धर्मगुरू से संपर्क कर इसके बारे में सीखना चाहिए था।’ उन्होंने ये भी कहा था कि इस्लाम अस्पष्ट नहीं है और इरफान को अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिए। इरफान के इसी बयान काेे लेकर इस्लामिक स्कॉलर अब्दुल लतीफ ने कहा कि इरफान एक्टिंग के मास्टर हैं लेकिन धार्मिक मामलों के नहीं। उन्होंने जो कुछ कहा कि उसका कोई महत्व नहीं है और उन्हें अपने निजी स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ऐसा नहीं कहना चाहिए था।
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