नई दिल्ली: हरियाणा के भिवानी जिले के बपोरा गांव में 10 मई 1951 को जन्मे विजय कुमार सिंह (वी के सिंह) थल सेनाध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा-दिक्षा उनके गांव बपोरा में ही हुई। जनरल के पद तक पहुँचने वाले वे पहले प्रशिक्षित कमांडो हैं।
वी के सिंह के परिवार का सेना से कितना लगाव रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके परिवार में लगातार तीसरी पीढ़ी सेना में शामिल होकर देश की रक्षा के लिए आगे आई। उनके पिता जगत सिंह सेना में कर्नल थे वहीँ उनके दादाजी JCO के पद से सेवानिवृत हुए। इनकी पत्नी भारती सिंह सिंह और दो बच्चे भी हैं। वी के सिंह 31 मई 2012 को सेना से सेवानिवृत हुए। फ़िलहाल गाजियाबाद संसदीय क्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं।
इनके जीवन से जुड़ी 10 खास बातें:
- जनरल वी के सिंह ने सेना प्रमुख के रूप में 31 मार्च 2010 को कार्यभार संभाला था और उनकी छवि एक ईमानदार और स्पष्टवादी अधिकारी की रही है।
- जनरल सिंह को काउंटर इंसरजेंसी ऑपरेशन और ऊंचाई पर दुश्मनों पर धावा बोलने की कला में महारत हासिल है।
- संसद पर हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम के तहत सीमा पर तैनात किया गया था तब वी के सिंह ब्रिगेडियर जनरल स्टाफ ऑफ ए कॉर्प्स के तौर पे तैनात थे।
- बांग्लादेश-युद्ध में रहे शामिल
- जनरल सिंह ऐसे पहले ट्रेंड कमांडो हैं, जिन्हें देश का आर्मी चीफ बनने का गौरव हासिल है।
- सेवा के आखिरी दिनों में सरकार को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाले वी के सिंह पहले सैन्य अधिकारी भी हैं।
- भूटान स्थित इंडियन मिलिट्री ट्रेनिंग टीम के मुख्यालय में बतौर अध्यापक रह चुके हैं।
- अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से जुड़े।
- अपनी जन्मतिथि को लेकर विवादों में आये जनरल वी के सिंह
- 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।
विवाद का कारण : सेना के सैन्य सचिव शाखा में उनकी जन्मतिथि 10 मई 1950 दर्ज है जबकि सहायक जनरल शाखा में उनकी जन्मतिथि 10 मई 1951 दर्ज है।
बता दें कि वी के सिंह अपने जन्मतिथि को लेकर विवादों में रह चुके थे, जिसके बाद इनकी आलोचना भी हुई थी। इस मामले को लेकर वो सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गए। हालांकि, 10 फरवरी 2016 को उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली थी।