राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव बिल को उपराज्यपाल नजीब जंग को लौटा दिया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के लिए बिल बनाया था।
हालांकि विधायकों के भविष्य पर फ़िलहाल किसी प्रकार का खतरा नहीं है लेकिन इससे दिल्ली सरकार को बड़ा झटका जरूर लगा है। केजरीवाल सरकार में मंत्रियों के संसदीय सचिव बनाए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों की सदस्यता पर निर्वाचन आयोग को फैसला करना है। चुनाव आयोग विधायकों के लाभ के पद से सम्बंधित बिल को राष्ट्रपति के पास सिफारिश के लिए भेजेगा।
हालांकि दिल्ली सरकार ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है लेकिन मुख़्यमंत्री केजरीवाल ने जिस प्रकार मोदी सरकार पर निशाना साधा उससे सरकार की मुश्किलों को समझा जा सकता है। अरविन्द केजरीवाल ने के बाद एक ट्वीट करके इस मामले में पीएम मोदी को पदोषी करार दिया।
एक MLA बेचारा रोज़ अपना पेट्रोल ख़र्च करके अस्पतालों के चक्कर लगाता था। बताओ क्या ग़लत करता था? मोदी जी ने उसको घर बिठा दिया।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 13, 2016
एक MLA को बिजली पे लगा रखा था, एक को पानी पे, एक को अस्पतालों पे, एक को स्कूल पे। मोदी जी कहते हैं – ना काम करूँगा, ना करने दूँगा।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 13, 2016
किसी MLA को एक पैसा नहीं दिया, कोई गाड़ी, बंगला- कुछ नहीं दिया। सब MLA फ़्री में काम कर रहे थे। मोदी जी कहते- सब घर बैठो, कोई काम नहीं करेगा
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 13, 2016
मोदी जी लोक तंत्र का सम्मान नहीं करते। डरते हैं तो सिर्फ़ आम आदमी पार्टी से। https://t.co/QpDdInebcF
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 13, 2016
उधर अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि ये फाइल्स राष्ट्रपति तक जाती ही नहीं है और केवल राष्ट्रपति के नाम का इस्तेमाल होता है। केजरीवाल का कहना है कि ये पूरा मामला गृह मंत्रालय देखता है।
संसदीय सचिव नियुक्त करने संबंधी केजरीवाल के आदेश की वैधानिकता को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है और इस अदालत में मामले को एलजी और मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र से संबंधित याचिका पर सुनवाई की जा रही है। इस मामले पर चुनाव आयोग कोर्ट के फैसले के बाद ही कोई सिफारिश करेगा।
आम आदमी पार्टी के 21 विधायक जिनकी सदस्यता खतरे में हैं।
1. जरनैल सिंह, तिलक नगर
2. नरेश यादव, महरौली
3. अल्का लांबा, चांदनी चौक
4. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
5. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
7. राजेश गुप्ता, वजीरपुर
8. जरनैल सिंह, राजौरी गार्डन
9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
10. अवतार सिंह, कालकाजी
11. कैलाश गहलोत, नजफगढ़
12. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
13. शरद चौहान, नरेला
14. सरिता सिंह, रोहताश नगर
15. संजीव झा, बुराड़ी
16. सोम दत्त, सदर बाजार
17. आदर्श शास्त्री, द्वारका
18. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर
19. मनोज कुमार, कोंडली
20. शिव चरण गोयल, मोती नगर
21. सुखबीर दलाल, मुंडका
दिल्ली सरकार के 67 विधायकों में नियमों के मुताबिक केवल 7 विधायकों को ही मंत्री नियुक्त किया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि ये सब जानने के बावजूद अरविन्द केजरीवाल उन 21 विधायकों को मंत्री क्यों बनाना चाहते हैं।