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दिल्ली: केजरीवाल सरकार के 21 विधायकों की सदस्यता रद्द होने का खतरा बढ़ा

AAP 21 MLA

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को दिल्ली सरकार के संसदीय सचिव बिल को उपराज्यपाल नजीब जंग को लौटा दिया है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने के लिए बिल बनाया था।

हालांकि विधायकों के भविष्य पर फ़िलहाल किसी प्रकार का खतरा नहीं है लेकिन इससे दिल्ली सरकार को बड़ा झटका जरूर लगा है। केजरीवाल सरकार में मंत्रियों के संसदीय सचिव बनाए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों की सदस्यता पर निर्वाचन आयोग को फैसला करना है। चुनाव आयोग विधायकों के लाभ के पद से सम्बंधित बिल को राष्ट्रपति के पास सिफारिश के लिए भेजेगा।

हालांकि दिल्ली सरकार ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है लेकिन मुख़्यमंत्री केजरीवाल ने जिस प्रकार मोदी सरकार पर निशाना साधा उससे सरकार की मुश्किलों को समझा जा सकता है। अरविन्द केजरीवाल ने के बाद एक ट्वीट करके इस मामले में पीएम मोदी को पदोषी करार दिया।

उधर अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि ये फाइल्स राष्ट्रपति तक जाती ही नहीं है और केवल राष्ट्रपति के नाम का इस्तेमाल होता है। केजरीवाल का कहना है कि ये पूरा मामला गृह मंत्रालय देखता है। 

संसदीय सचिव नियुक्त करने संबंधी केजरीवाल के आदेश की वैधानिकता को हाई कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है और इस अदालत में मामले को एलजी और मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र से संबंधित याचिका पर सुनवाई की जा रही है। इस मामले पर चुनाव आयोग कोर्ट के फैसले के बाद ही कोई सिफारिश करेगा।

आम आदमी पार्टी के 21 विधायक जिनकी सदस्यता खतरे में हैं। 

1. जरनैल सिंह, तिलक नगर

2. नरेश यादव, महरौली

3. अल्का लांबा, चांदनी चौक

4. प्रवीण कुमार, जंगपुरा

5. मदन लाल, कस्तूरबा नगर

6. राजेश ऋषि, जनकपुरी

7. राजेश गुप्ता, वजीरपुर

8. जरनैल सिंह, राजौरी गार्डन

9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर

10. अवतार सिंह, कालकाजी

11. कैलाश गहलोत, नजफगढ़

12. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर

13. शरद चौहान, नरेला

14. सरिता सिंह, रोहताश नगर

15. संजीव झा, बुराड़ी

16. सोम दत्त, सदर बाजार

17. आदर्श शास्त्री, द्वारका

18. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर

19. मनोज कुमार, कोंडली

20. शिव चरण गोयल, मोती नगर

21. सुखबीर दलाल, मुंडका

दिल्ली सरकार के 67 विधायकों में नियमों के मुताबिक केवल 7 विधायकों को ही मंत्री नियुक्त किया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि ये सब जानने के बावजूद अरविन्द केजरीवाल उन 21 विधायकों को मंत्री क्यों बनाना चाहते हैं।

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