देश भर में आज मदर्स-डे मनाया जा रहा है, यह दिन माँ की ममता और उनके निस्वार्थ स्नेह को शुक्रिया कहने के लिए मनाया जाता है. एक माँ और उसके बच्चे के बीच जो संबंध होता है वह कुछ ऐसा होता है कि एक माँ बच्चे के लिए किसी भगवान् से कम नहीं होती है. माँ अपने बच्चों को बहुत प्यार व दुलार करती है. परंतु हमारे देश में कुछ ऐसी माएं भी हैं जिन्होंने अपना प्यार केवल अपने बच्चों तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि इस स्नेह को कई ऐसे बच्चों तक पहुंचाया है जिन्हें माँ के प्यार की सख्त ज़रुरत थी.

पन्ना धाय :

panna dhay

  • 16वीं सदी एक ऐसी माँ और उनके स्नेह की कहानी बताती है जिसकी आज भी मिसाल दी जाती है.
  • इस माँ का नाम पन्ना धाय था जो नवजात उदय सिंह द्वतीय की धाय माँ थीं.
  • उन्हें ज़िम्मेदारी दी गयी थी कि वे अपने बच्चे मोती के ही साथ उदय सिंह को भी पालें.
  • यही नही वे उदय सिंह को स्तनपान भी और अपने बच्चे की ही तरह देखभाल करती हैं.
  • परंतु जैसे-जैसे समय करवट लेता है उदय सिंह की जान को ख़तरा होने लगता है.
  • जिसके बाद उदय सिंह के अपने ही चाचा बनवीर द्वारा राजसिंघासन हांसिल करने के लिए हमला किया जाता है.
  • परंतु उस समय माँ पन्ना अपने बेटे को युवराज उदय बनाकर सुला देती है और उदय सिंह की जान बचा लेती हैं.
  • यह अपने आप में एक माँ के अपने धर्म के प्रति निष्ठावान होने का परिचायक है.

सावित्रीबाई फुले :

Savitribai phule

  • ये एक ऐसी माँ होने का परिचय देती हैं जो अपने समाज के भविष्य को उज्ज्वल बनाती हैं.
  • सावित्रीबाई की नौ साल की आयु में शादी कर दी गयी थी, परंतु उस समय उन्हें पढने का बेहद शौक था.
  • जिसके चलते अपने साथ वे अपनी किताबें भी लाई थीं और उनके पति ज्योतिराव फुल्ले द्वारा उन्हें शिक्षा प्रदान भी की गयी थी.
  • बता दें कि उन्होंने उस समय में शिक्षा प्राप्त की थी जब औरतों का पढ़ना-लिखना व्यर्थ समझा जाता था.
  • यही नहीं उन्होंने न केवल अपनी पढ़ाई पूरी की थी बल्कि वे उस समय में देश की पहली महिला शिक्षिका भी बनी थीं.
  • सावित्रीबाई द्वारा देश की लड़कियों के लिए सन 1848 में एक विद्यालय का निर्माण किया गया था.
  • जिसके बाद वे एक ऐसी माँ के रूप में सामने आई थीं जिन्होंने समाज का औरतों के प्रति रुख बदल दिया था.

मदर टेरेसा :

mother teresa

  • मदर टेरेसा एक ऐसा नाम है जो ज़बान पर आते ही एक उदारता की प्रतिमूर्ति को परिलक्षित करता है.
  • मदर टेरेसा एक ऐसी माँ थीं जिन्होंने गरीब और बीमार बच्चों को अपनाया.
  • यही नहीं उन्होंने इस बच्चों और बीमारी झेल रहे बड़ों तक पर अपना स्नेह बरसाया और अपनी छत्रछाया दी.
  • मदर टेरेसा के अपने कोई बच्चे नहीं थे परंतु उन्होंने इन गरीब बच्चों की सेवा की,
  • जिसके बाद उन्होंने यह साबित किया कि माँ बनने के लिए जन्म देना ज़रूरी नहीं होता है.
  • आप कर्मों से भी किसी का जीवन संवार सकते हैं और माँ कहला सकते हैं.

श्री शारदा देवी :

sri sharda devi

  • पश्चिम बंगाल से ताल्लुख रखने वाली श्री शारदा देवी के बारे में इतिहास गवाह है.
  • इनके जीवन की बात की जाए तो इनका जीवन किसी मार्गदर्शन से कम नहीं है.
  • यह एक ऐसी माँ हैं जिन्होंने गृहस्थ जीवन को जीते हुए भी एक साध्वी का जीवन जिया है.
  • बता दें कि श्री शारदा देवी का विवाह आध्यातम में डूबे श्री रामाकृष्णन से साथ हुआ था.
  • उन्होंने शारदा देवी को अपनी पत्नी के रोप्प में स्वीकार तो किया था परंतु कभी गृहस्थ जीवन व्यतीत नहीं किया.
  • उन्होंने श्री शारदा देवी को अध्यात्म की ओर मोड़ा और इस दिशा में अपनी ममता अपने भक्तों पर बरसाने के लिए कहा.
  • जिसके बाद श्री शारदा देवी ने ममता की एक ऐसी मिसाल पेश की जिसके चलते उन्हें आज भी माँ के रूप में पूजा जाता है.

महम अंगा :

maham anga

  • महम अंगा भी एक ऐसी माँ थीं जिन्होंने अपने पुत्र से ऊपर अपनी ज़िम्मेदारी को रखा था.
  • बता दें कि महम अंगा मुग़ल सम्राट अकबर की धाय माँ थीं जिन्होंने उन्हें बचपन से पाला था.
  • यही नहीं उन्होंने अकबर को बचपन से ही उनपर होने वाले बहुत से हमलों से बचाया था.
  • इसके अलावा उन्होंने अकबर की सलाहकार बन उन्हें हर अच्छाई-बुराई से अवगत भी कराया था.
  • यहाँ तक की उनके अपने बेटे अदम खान ने जब मुग़ल सामराज्य के विरुद्ध जाने का प्रयास किया था,
  • तो उन्होंने अदम पर बिना किसी तरह की ममता दिखाये अकबर को उसे मार देने को कहा था.
  • जिसके बाद उन्होंने अपने मुग़ल साम्राज्य की ओर अपनी कर्तव्य निष्ठा का सबूत पेश किया था.

 

 

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