देश के 49 सेवानिवृत्त नौकरशाहों के बाद अब दुनियाभर के 600 से ज्यादा शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखकर कठुआ और उन्नाव बलात्कार मामलों पर अपनी नाराजगी जताई है. शिक्षाविदों ने अपने खत में नाराजगी जताते हुए पीएम मोदी पर देश में बन रहे गंभीर हालातों पर चुप्पी साधे रहने का भी आरोप लगाया है.
600 से अधिक देश विदेश के शिक्षाविदों का पीएम को खुला खत:
दुनिया भर के 600 से अधिक शिक्षाविदों और विद्वानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर कठुआ और उन्नाव बलात्कार मामलों पर अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए उन पर देश में बने गंभीर हालात पर चुप्पी साधे रहने का आरोप लगाया.
प्रधानमंत्री को जो खत भेजे गए हैं, उनमे शिक्षाविदों ने लिखा है कि कठुआ और उन्नाव की घटनाओं के बाद अपराधियों को बचाने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों से उन्हें निराशा हुई है, पत्र में लिखा गया है कि कठुआ और उन्नाव की घटनाएं कोई नई नहीं थी.
लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं जिसमें अल्पसंख्यक धार्मिक समुदायों, दलितों, आदिवासियों और महिलाओं को निशाना बनाया जा रहा है.
इस खत पर भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, लंदन, जर्मनी, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, आयरलैंड, कनाडा और कुछ अन्य देशों के 637 शिक्षाविदों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमे न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, ब्राउन विश्वविद्यालय, हार्वर्ड, कोलंबिया विश्वविद्यालय जैसे विश्वस्तरीय संस्थानों के विद्वान् भी शामिल हैं, अब देखना यह है कि पीएम मोदी इन खतों का क्या जवाब देते हैं ?
49 पूर्व ब्यूरोक्रेट ने भी लिखा ख़त:
इससे पहले कठुआ और उन्नाव जैसे मामलों को लेकर देश के 49 पूर्व ब्यूरोक्रेट भी पीएम मोदी को खत लिख चुके हैं. खत में ब्यूरोक्रेट्स ने लिखा था, ‘प्रिय प्रधानमंत्री जी मौजूदा हालात के लिए कोई और नहीं आपको ही जिम्मेदार माना जाएगा.’
खत में ब्यूरोक्रेट्स ने मौजूदा दौर को आजादी के बाद सबसे अंधकार भरा वक्त बताया था.
उनके मुताबिक, ऐसे समय में इन सब बातों से निपटने में हमारी सरकार और राजनीतिक दलों के नेता विफल और कमजोर साबित हुए हैं.
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नाबालिगों के साथ दुष्कर्म पर मौत की सजा:
दुनियाभर के शिक्षाविदों और विद्वानों का ये खत ऐसे दिन आया है जब कठुआ और सूरत में नाबालिग बच्चियों के बलात्कार और हत्या और उन्नाव में एक लड़की से बलात्कार को लेकर देशभर में आक्रोश के बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को ही 12 साल और उससे कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामले में दोषी पाये जाने पर मृत्युदंड समेत कड़े दंड के प्रावधान वाले अध्यादेश को मंजूरी दी.