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आज भारत को आज़ाद हुए 70 साल हो चुके हैं, अगर पीछे मुड़कर देखा जाए तो इन सालों के अंतराल में देश विकास की कई सीढियाँ चढ़ चुका है. देश में कई सरकारे आई व गयी परंतु कोई सरकार देश की नीव को नही सुधार पायी.
नियमों का होता है उल्लंघन :
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- देश में वैसे तो कई मुद्दों को लेकर कई नियम बनाये गये हैं.
- परंतु देशवासी खुद ही अपने देश में बदलाव नही चाहते हैं.
- वैसे तो आये दिन सरकारों पर आरोप लगा नारेबाज़ियाँ की जाती हैं.
- परंतु यदि व्यक्ति विशेष की बात की जाए तो कोई भी नियमों को नही मानता है.
- जैसा की सब जानते हैं देश में बाल मज़दूरी करना व करवाना कानूनन जुर्म है.
- परंतु फिर भी देश में आज भी इसपर बने नियमो की अवेहलना की जा रही है.
क्या हैं बाल मज़दूरी के कारण :
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- देश में वैसे तो कई ऐसे कारण हैं जो देश के विकास में अवरोध उत्पन्न करते हैं.
- परंतु बाल मज़दूरी इनमे से इसका एक विशेष कारण है.
- मासूम बचपन को जहाँ स्कूलों में की ओर कदम बढाने चाहिए.
- वही कुछ लोगों की स्वार्थपरता के चलते ऐसा होना एक सपना सा लगता है.
- इन बच्चों के माता-पिता से पूछा जाए तो वे बच्चों को स्कूल ना भेजने के कई कारण देते हैं.
- जिनमे से एक उनकी आर्थिक तंगी है, उनका मानना है की पेट पालने के लिए पैसा ज़्यादा जरूरी है.
- इन गरीबों की मजबूरियों का फायदा उठा कई लोग इन बच्चों से इनका बचपन छीन लेते हैं.
- आज भी देश के कई गाँवों में भुखमरी और गरीबी के चलते लोग अपने बच्चों को दूर भेजने को विवश हैं.
- स्थिति यह है की देश में कई ऐसे लोग हैं जो अमीरों को नौकरों की सुविधा पहुंचाते हैं.
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- जिसके लिए वे गाँव में उन परिवारों को निशाना बनाते हैं जो आर्थिक तंगी झेल रहे होते हैं.
- जिसके बाद यह मासूम छोटी सी उम्र में अपने परिवार से दूर हो जाते हैं.
- बड़े शहरों की चकाचौंध में इनका बचपन कही खो जाता है.
- स्कूल जाने की उम्र में ये बच्चे या तो दूसरों के घरों में काम कर रहे होते हैं.
- या फिर कही दुकानों व छोटी जगहों पर मज़दूरी कर रहे होते हैं.
- सरकार द्वारा बनाये गये नियमों लगातार अनदेखी के बीच यह बचपन धुधला हो चुका है.
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