समाजवादी पार्टी अभी उस दौर से गुजर रही है जिससे उसे नहीं गुजरना चाहिए. चुनाव से पहले जिस प्रकार से कुनबे में रार सामने आई है, वो सपा के लिए बुरा संकेत है. कई महीने से चला आ रहा संकट अभी दूर नही हुआ है.
पिछले महीने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के बाद जिस प्रकार अखिलेश ने कड़ा रुख अपनाया वो फिर दोहराया जा रहा है. उदयवीर के हटाये जाने के बाद रविवार सुबह अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव को ही मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया. इसके अलावा जया प्रदा, गायत्री प्रजापति और नारद राय समेत कई शिवपाल करीबियों पर गाज गिरी. लेकिन इसकी शुरुआत एक लेटर से हुई. ये वो लेटर था जिसे रामगोपाल यादव ने लिखा था. अखिलेश के समर्थन में लिखे गए इस लेटर के बाद सियासी संग्राम चरम पर है.
‘विभीषण’ ने लगाई घर में आग:
सरगर्मियों का दौर उस वक्त शुरू हुआ जब रविवार सुबह 7:30 के करीब एक पत्र सार्वजनिक हुआ. ये पत्र प्रोफेसर साहब यानी रामगोपाल यादव ने लिखा था. एक पत्र ने आज रविवार को समाजवादी पार्टी के समर्थकों के लिए ‘काला रविवार’ बना दिया.
- रामगोपाल यादव का अखिलेश के समर्थन में आना अमर सिंह और शिवपाल के लिए चुनौती है.
- कैबिनेट से शिवपाल के साथ गायत्री प्रजापति और नारद राय समेत 8 लोगों की छुट्टी हुई.
- जिसके बाद इस आग को हवा मिल गई.
- शिवपाल यादव आनन-फानन में मुलायम सिंह यादव से मिले.
- उन्होंने अपनी सारी सुरक्षा और सरकारी वाहन लौटा दिया है.
- कद्दावर नेता का ये रुख सामान्य बात नही है.
- अब ये विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.
- एक तरफ अखिलेश के नए मोर्चे को रूप देने की ख़बरें भी आ रही हैं.
- वहीँ कयास लगाये जा रहे हैं कि समझौता ना होने की स्थिति में सरकार भंग की जा सकती है.
- ऐसे में प्रदेश पर राष्ट्रपति शासन का खतरा मंडराने लगा है.
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पुरे प्रकरण में एक बात देखने को मिली है कि जब से ये पत्र सार्वजनिक हुआ है प्रदेश में सुनामी सी आ गई है. इस सुनामी में सबसे ज्यादा नुकसान समाजवादी पार्टी को होता दिख रहा है. इस समय अमर सिंह और शिवपाल के खिलाफ रामगोपाल का ‘लेटर बम’ लेकर आना ‘घर का भेदी लंका ढाए’ कहावत को चरितार्थ कर रहा है.