हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक घोषणा का है जिसके तहत किसी सार्वजनिक उद्देश्य के लिए किसी धार्मिक इकाई से जुड़ी भूमि का अधिग्रहण किया जा सकता है. अदालत ने यह व्यवस्था एक चर्च और एक सड़क निर्माण से संबंधित मामले में दी है.
बाईपास निर्माण में हो रहा था अवरोध :
- हाल ही में इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक चर्च द्वारा दायर की गयी याचिका पर फैसला सुनाया है.
- जिसके तहत ने कहा कि सार्वजनिक उद्देश्य के लिए किसी धार्मिक से जुड़ी भूमि का अधिग्रहण किया जा सकता है.
- दरअसल हाईकोर्ट ने चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया एसोसिएशन,
- इसके साथ ही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के बीच चल रहे मुक़दमे में निर्णय दिया.
- जिसके अंतर्गत कहा कि वे छह लेन सड़क के निर्माण हेतु चर्च को गिराने या स्थानांतरित करने पर काम कर रहे हैं.
- अदालत ने चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया एसोसिएशन की याचिका का निपटारा कर दिया है.
- जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग कानून 1956 के प्रावधानों के तहत सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अधिग्रहण कर लिया गया है.
- जिसके बाद याचिकाकर्ता को कोई राहत नहीं दी जा सकती है.
- बता दें कि इस चर्च ने 17 अगस्त 2012 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी थी.
- इस अधिसूचना के जरिए आगरा-इटावा को जोड़ने के लिए फिरोजाबाद जिले के एक बाईपास का निर्माण होना है.
- निर्माण के लिए संबंधित जमीन के चार भूखंड अधिग्रहित किए गए थे.
- हालाँकि न्यायमूर्ति वीके शुक्ला-एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने कहा कि क्रिसमस की वजह से ढांचे को एक महीने तक ढहाया नहीं जाना चाहिए,
- जिसके बाद कहा कि प्रभावित पक्ष को इसे ‘‘ढहाने या स्थानांतरित’’ करने के लिए ‘‘तौर तरीकों पर काम करना चाहिए.’’
- एसोसिएशन ने अधिसूचना को चुनौती देते हुये कहा था कि इससे ईसाई समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.
- इसके साथ ही इसने धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन किया है.
- याचिका में यह भी कहा गया था कि इस भूमि अधिग्रहण ने धार्मिक स्थल (विशेष प्रावधान) कानून का भी उल्लंघन किया है.
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