एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर चीन लगातार विरोध करता रहा है, एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध करते हुए चीन ने यहां तक कह दिया कि सोल बैठक में भारत की एनएसजी सदस्यता बहस के एजेंडे में नहीं है। मालूम हो कि यह बैठक 24 जून को हागी। वहीं अमेरिका एनएसजी में भारत की सदस्तया के लिए अन्य देशों को मनाने में जुटा हुआ है।

एनएसजी में भारत की सदस्यता के मामले पर अमेरिका और चीन आमने-सामने आ गए हैं, चीन के उक्त बयान के बाद अमेरिका ने एनएसजी के अन्य सदस्य देशों से कहा कि वे सोल में शुरू होने वाली अपनी बैठक के दौरान भारत के आवदेन पर विचार करें और उसे समर्थन दें।

सदस्यता के लिए तैयार है भारतः

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जोश अर्नेस्ट ने अपने बयान में कहा, ‘हमारा मानना है कि भारत एनएसजी की सदस्यता के लिए तैयार है।

अर्नेस्ट ने कहा कि किसी भी नए आवेदक राष्ट्र को समूह में शामिल करने के लिए समूह में शामिल सरकारों को सर्वसम्मति से निर्णय पर पहुंचने की जरूरत होगी।

अर्नेस्ट ने कहा कि अमेरिका बैठक में भाग लेने वाली सरकारों से अपील करता है कि वे एनएसजी की पूर्ण बैठक में भारत के आवेदन को समर्थन दें।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका निश्चि रूप से भारत की सदस्तया की वकालत करेगा।

चीन की आपत्तिः

एनएसजी वोटिंग प्रक्रिया के तहत न होकर सर्वसम्मति के सिद्धांत पर काम करता है और भारत के खिलाफ एक भी देश का वोट भारत की दावेदारी के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

इससे पहले चीन एनएसजी में भारत की एंट्री का विरोध कर रहा है, चीन का कहना है कि परमाणु अप्रसार संधि‍ (एनपीटी) पर हस्ताक्षर किए बिना किसी राष्ट्र को समूह में एंट्री नहीं मिल सकती।

कैसे होगी एंट्रीः

चीन और पाकिस्तान के विरोध के बावजूद अमेरिका के राजनयिक दवाब में न्यूजीलैंड भारत को समर्थन के लिए राजी हो गया।

वहीं ब्रिटेन ने भी भारत को समर्थन का वादा किया है, अमेरिका ने एनएसजी में शामिल बाकी सदस्यों से भी भारत की सदस्यता के लिए समर्थन करने का अनुरोध किया है। 

भारत की एनएसजी में एंट्री को लेकर अर्जेंटीना इस ग्रुप के अन्‍य देशों के साथ प्‍लान बी डिसकस कर रहा है, मालूम हो कि मौजूदा दौर में अर्जेंटीना एनएसजी ग्रुप की अगुवाई कर रहा है।

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