भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह अब उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ में दलितों के साथ स्नान करते हुए नजर आ सकते है। वह यहां पर समरसता और शबरी स्नान कर सकते है। अमित शाह का यह कार्यक्रम 11 मई को हो सकता है वो इस दिन दलित धर्मगुरूओं के साथ स्नान करने के अलावा खाना भी खा सकते है। वहीं शंकराचार्य ने इसका विरोध किया है। उन्होंने भाजपा से पूछा है कि समरसता स्नान के जरिए पार्टी नौटंकी क्यों कर रही है। सिंहस्थ कुंभ में दलितों के लिए अलग घाट का मुद्दा भी गरमा रहा है।
शंकराचार्य ने समरसता स्नान को भाजपा का ढोंग बताया है। उन्होंने कहा कि वे ऐसा करके दलितों को और नीचा दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दलितों को शिप्रा में स्नान से नहीं रोका गया है, वो जब चाहे स्नान कर सकते हैं। ऐसे में भाजपा की ओर से स्नान के लिए एक दिन तय करना सही नहीं है। शंकराचार्य ने कहा कि किसी भी नदी ने कभी किसी की जाति नहीं पूछी और न ही किसी दलितों को इसमें स्नान करने से रोका है। उन्होंने कहा कि इतने दिनों से चल रहे सिंहस्थ में दलितों को किसी ने नहीं रोका है, तो फिर भाजपा अध्यक्ष का कुंभ में दलितों के साथ नहाना दिखावा और नौटंकी ही है।