बेंगलुरु के एक इंजीनियर ने ऐप (Aadhaar KYC) को विकसित करने के लिए ‘आधार डाटाबेस’ में सेंध लगा दी है। आरोप है कि इस इंजीनियर ने आधार डेटाबेस का ऐक्सिस कर लिया है। इसके जरिये अब यह इंजीनियर लोगों की पहचान हासिल कर सकता है।
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- हालांकि इसकी खबर लगते ही जिम्मेदारों के कान खड़े हो गए हैं।
- अब पुलिस इस बात का पता लगाने में जुट गई है कि ये इंजीनियर आधार डेटाबेस के अंदर कैसे घुसा?
- साथ ही पुलिस ये भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इंजीनियर के साथ इस मामले में कौन से लोग शामिल हैं।
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पहचान की चोरी एक अपराध
- इंजीनियर, अभिनव श्रीवास्तव को आधार डेटाबेस का अवैध रूप से उपयोग करने का आरोप लगाया गया है।
- सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से उन्होंने इस काम को किया उसमें कई लोगों के शामिल होने की आशंका है।
- पुलिस को शक है कि ये डाटाबेस इंजीनियर ने आधार डेटाबेस को हैक करके चोरी किया होगा।
- पुलिस ने इंजीनियर के खिलाफ आधार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की गहनता से पड़ताल शुरू कर रही है।
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Google Play store पर उपलब्ध है ऐप
- इंजीनियर ने जो ऐप बनाया है उसका नाम Aadhaar KYC है जो Google Play store पर उपलब्ध है।
- बताया जा रहा है कि इस ऐप के जरिये आधार केवाईसी सत्यापन का दावा किया गया है।
- केवाईसी के जरिये की जन्म तिथि, पता और फोन नंबर के साथ किसी व्यक्ति की पहचान स्थापित करने की प्रक्रिया को संदर्भित करता है।
- इंजीनियर अभिनव श्रीवास्तव द्वारा विकसित किए गए एप्लिकेशन को आधार संख्याओं का उपयोग करने के लिए उन विवरणों को हासिल किया।
- हालांकि दिल्ली के मुख्यालय में यूआईडीएआई (UIDAI) के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बोलने से इनकार करते हुए कहा कि उसके सर्वरों को हैक किया जा सकता था।
- उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र, या केवाईसी प्रदान करने के लिए अधिकृत किसी भी एजेंसियों से सेवाएं लीक हो गई हो।
- लेकिन अधिकारी ने कहा कि ‘यूआईडीएआई डाटाबेस बहुत सुरक्षित है।’
- ‘ऐसा लगता है कि प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसी (एयूए) या ई-केवाईसी उपयोगकर्ता एजेंसी (केयूए) के स्तर पर हुआ है।
- बता दें कि गोपनीयता के अधिकार पर असर डालने के लिए आधार परियोजना की आलोचना की गई है।
- यूआईडीएआई के आधिकारिक ने कहा, ‘यह मामला अब पुलिस के हाथ में है और हम जांच पूरी होने के लिए इंतजार करें।
- गौरतलब है कि तकनीकी केंद्र बेंगलुरु में क्षेत्रीय यूआईडीएआई कार्यालय है जहां पूरे देश से डेटा जमा है, यह शहर में पहला मामला है।
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X-Pay नमक ऐप भी था बनाया
- श्रीवास्तव ने कथ टेक्नोलॉजीज का नेतृत्व किया।
- जिसने एक्स-पे नामक एक मोबाइल भुगतान ऐप बनाया।
- जिसे ओला ने मार्च 2016 में अधिग्रहण किया था।
- सूत्रों ने बताया कि आधार केवाईसी को अपनी व्यक्तिगत क्षमता में विकसित किया गया था, और एंड्रॉइड एप्लिकेशन मिररिंग वेबसाइटों पर पूछे गए प्रश्नों से पता चलता है कि कार्यक्रम अपलोड किया गया था।
- ‘माइगोव’ शीर्षक वाले डेवलपर खाते का उपयोग करना वेबसाइट पर स्क्रीनशॉट्स ने दिखाया कि कार्यक्रम नामांकन के रूप में किसी व्यक्ति का नाम और यूआईडी नंबर लेने के बाद आधार नामांकन डेटा दिखाएगा।
- फिलहाल पुलिस (Aadhaar KYC) पूरे मामले की पड़ताल कर रही है।
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