पिछले हफ्ते दो दिनों तक विधानसभा में विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए अर्जित शाश्वत चौबे की गिरफ्तारी की मांग की. अर्जित शाश्वत चौबे पर बिना प्रशासन की अनुमति के शोभायात्रा निकालने और सांप्रदायिक दंगे भड़काने का आरोप है. गौरतलब है कि अर्जित शाश्वत चौबे भारत सरकार के केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के बेटे है.
बिहार पुलिस अर्जित शाश्वत चौबे की तलाश में
17 मार्च 2018 को अर्जित में बिना प्रशासन की अनुमति भागलपुर के नाथनगर में जुलूस निकला था. जिसमे बजरंग दल, आरएसएस और भाजपा के लोग भी शामिल हुए थे. जुलूस के बाद क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव फैल गया. जिसके बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए 2 केस दर्ज किये. एक में अर्जित शाश्वत चौबे सहित 9 अन्य के खिलाफ वार्रेंट जारी किया गया है. वहीं दुसरे केस में 500 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया गया है.
बीते शनिवार अर्जित के खिलाफ वारेंट जारी होने के बाद से ही बिहार पुलिस को अर्जित की तलाश है. पुलिस का आरोप है के आरोपी ने जुलूस में भड़काऊ भाषण देने के साथ क्षेत्र में सांप्रदायिक दंगे भड़काए. नाथनगर में अभी भी तनाव की स्थिति है. वहीं केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने बेटे का बचाव करते हुए कहा कि उनके बेटे ने कुछ गलत नही किया है तो वह सरेंडर क्यूँ करे. केन्द्रीय मंत्री ने जिला प्रशासन पर निशाना साधते हुए बताया के इसमें भागलपुर जिला प्रशासन जिम्मेदार है.
अर्जित शाश्वत चौबे साल 2015 में भागलपुर विधानसभा से भाजपा के टिकेट से चुनाव हार चुके है. अपना बचाव करते हुए अर्जित ने कहा कि अगर भारत माता की जय बोलना अपराध है तो मैं अपराधी हूँ. अर्जित ने इस पुरे मामले में भागलपुर के पुलिस अधिकारियों को गैरजिम्मेदार बताते हुए उन्हें हटाने की मांग की.
फिलहाल अर्जित और अन्य 9 पर जिन धाराओं के तहत वर्रेंट जारी हुआ है उनमें से दो धाराओं को छोड़ कर सभी पर कोर्ट या थाने से जमानत मिल सकती है. लेकिन पुलिस जिस तरह से इस केस में गम्भीरता दिखा रही है उससे साफ़ है कि वे इस मामले में कोई नरमी नही बरतना चाहती है.