हमारे देश में एक गांव ऐसा भी है, जहां आजादी के बाद पहली लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए वोट डाला। पश्चिम बंगाल के मध्य मशालडांगा गांव में जब 103 साल के असगर पोलिंग बूथ पर पहुंचे तो खुशी से उनकी आंखों में आंसू छलक उठे।
गांव में रहने वाले 103 साल के बुजुर्ग असगर अली ने कहा, “मरने से पहले बस अपना वोट डाल दूं। ताकि भारत का नागरिक होने का अहसास हो, यही मेरी मुराद है।”
बंगाल विधानसभा चुनाव के अंतिम चरण में हाल ही में भारत में शामिल हुए ईस्ट मिदनापुर और कूच बिहार जिले की 25 सीटों पर वोटिंग हो रही है।
कूच बिहार में 9776 वोटर को पहली बार वोटिंग का हक मिला है। इन नए नागरिकों के लिए 41 नए मतदान केंद्र बनाए गए हैं।
अभी तक ये इलाका भारत और बांगलादेश के बीच जमीन विवाद में फंसा हुआ था। इस गांव में रहने वाले इन हजारों लोगों की कोई पहचान नहीं थी। ये लोग आधिकारिक तौर पर न तो भारत के नागरिक थे और न ही बांग्लादेश के।
बीते साल भारत सरकार के ऐतिहासक जमीन सीमा समझौते के तहत इन भूखंडों की अदला-बदली के बाद इनमें रहने वाले 14,864 लोगों को भारतीय नागरिकता मिली थी।
इसके अलावा बांग्लादेश स्थित भारतीय भूखंडों में रहने वाले 922 लोगों ने भी सीमा पार कर भारतीय नागरिक बनने का फैसला किया था।
बीते साल भारत-बांग्लादेश सीमा समझौते के बाद ये लोग भारतीय नागरिक बने थे। कहने को तो वे बांग्लादेशी थे। लेकिन उनके पास कोई लोकतांत्रिक और नागरिक अधिकार नहीं था।