लोढ़ा कमेटी और बीसीसीआई विवाद मामले में बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) ने अपना जवाब दाखिल किया और लोढ़ा कमेटी के आरोपों को नकारा.
लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों पर हुई थी वोटिंग-
- बोर्ड ने लोढ़ा पैनल की सिफारिशें नजरअंदाज करने से इनकार किया.
- बोर्ड ने आगे कहा कि सदस्यों की एक बैठक हुई थी.
- इस बैठक में लोढ़ा कमेटी की कुछ सिफारिशों को रिजेक्ट कर दिया गया था.
- यह गलत है कि हमने कमेटी के किसी मेल का जवाब नहीं दिया.
लोढ़ा पैनल और बीसीसीआई आमने सामने-
- उधर जस्टिस आर.एम. लोढ़ा ने कहा कि हमें जो कहना था वह कह चुके हैं.
- अब फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना है.
- बीसीसीआई में सुधार लाने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लोढ़ा कमेटी ने अपनी सिफारिशें दी थी.
- इन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई 2016 को मंजूर कर लिया था.
- उन्हें लागू करने के लिए बीसीसीआई को 4-6 महीने का वक्त दिया गया.
- शुरुआत में बोर्ड लोढ़ा कमेटी की कई सिफारिशों को मानने को तैयार नहीं था.
- लेकिन सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद 30 सितंबर को बीसीसीआई की स्पेशल जनरल मीटिंग में लोढ़ा कमेटी की कई सिफारिशों को मंजूर कर लिया.
- अंत में बात इन 4 सिफारिशों पर आकर अटक गई.
ये हैं लोढ़ा कमेटी की मुख्य सिफारिशें-
- कोई भी व्यक्ति 70 साल की उम्र के बाद बीसीसीआई या राज्य संघ पदाधिकारी नहीं बन सकता.
- एक राज्य संघ का एक मत होगा और अन्य को एसोसिएट सदस्य के रूप में रेलीगेट किया जाएगा.
- आईपीएल और बीसीसीआई के लिए अलग-अलग गवर्निंग काउंसिल हों.
- आईपीएल गवर्निंग काउंसिल को सीमित अधिकार दिए जाने का भी सुझाव दिया है.
- समिति ने बीसीसीआई पदाधिकारियों के चयन के लिए मानकों का भी सुझाव दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ले सकती है सख्त फैसला-
- 28 सितंबर को ही सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई को कड़ी फटकार लगा चुकी है.
- कहा था- ‘भगवान की तरह व्यवहार मत करो, सुधर जाओ वर्ना हमें सुधारना आता है।’
- बीसीसीआई का पक्ष कपिल सिब्बल रखेंगे.
- चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच लोढ़ा कमेटी की स्टेटस रिपोर्ट पर बीसीआई जवाब दाखिल करेगा.
- इस केस में सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआई पर कोई सख्त फैसला दे सकता है.
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