गौरक्षा के नाम पर देश भर में हो रही घटनाओ में कमी आते न देखकर महाराष्ट्र सरकार ने इस दिशा में एक नया कदम उठाया है। महाराष्ट्र सरकार ने अपने अधिकारियों को ये निर्देश दिया है कि वह गोरक्षकों को गोरक्षक कानून को अपने हाथ में न लेने दें। इसके अलावा मुंबई पुलिस की ओर से भी अपने अधिकारियों को एडवायज़री जारी की गयी है कि पुलिस को गोमांस की जानकारी मिलने पर फॉरेंसिक जांच के बाद ही मामला दर्ज़ किया जाए।
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पुलिस खुद ले एक्शन
- अक्सर देखा जा रहा है की गौरक्षकों के माध्यम से ही गोमांस से सम्बंधित जानकारी मिलती है।
- ऐसे में कई बार गौरक्षक कानून अपने हाथ में ले लेते हैं जो की बिलकुल भी ठीक नहीं है।
- इससे अव्यवस्था तो होती ही है और कई बार बवाल की भी आशंका रहती है।
- इसलिए इससे बचने की आवश्यकता है ताकि ऐसी घटनाये न होने पाये।
- इसी को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने अपने अधिकारियों को ये निर्देश जारी किया है।
- निर्देश के मुताबिक गोरक्षकों को गोरक्षक कानून को अपने हाथ में न लेने दिया जाये।
- इसी के तहत महाराष्ट्र पुलिस के डीजीपी के कार्यालय से राज्य के सभी 94 पुलिस थानों में एक सर्कुलर भेजा गया है।
- जानकारी के मुताबिक सर्कुलर में कहा गया है कि गोमांस की आशंका होने पर गोरक्षकों को छापेमारी करने और कानून हाथ में लेने से रोका जाए।
- साथ ही ये भी निर्देश है की यदि जरुरी हो तो सूचना मिलने पर पुलिस खुद छापेमारी करे।
- लेकिन ऐसा करते वक़्त लोगों की भावनाओ का भी ध्यान रखा जाये।
- ये मामला सांप्रदायिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है इसलिए इसे संवेदनशील तरीके से निपटाए।
- 2015 में राज्य सरकार ने कानून में परिवर्तन करके गौमांस की बिक्री और ट्रांसपोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया था
- इस नए कानून के हिसाब से बीफ रखने या बेचने पर पांच साल की सज़ा और जुर्माना लग सकता है।