कपिल काजल बेंगलुरु कर्नाटक
प्रदूषण कैसे कम हो, इस बारे में ज्यादा चिंता हो ही नहीं रही है। कम से कम वह नागरिक अथॉरिटी जो प्रदूषण कम करने में कारगर साबित हो सकते हैं, वह भी अभी तक कोई ठोस कदम उठाने की बजाय एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल कर अपने कर्तव्य को इतिश्री कर रहे हैं। शहर में कर्नाटक राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यवरणविदों के दबाव के चलते एक 44 सूत्रीय कार्य योजना तैयार की थी। इस कार्ययोजना को एक साल हो गया, अभी तक इस दिशा में कुछ भी सकारात्मक काम नहीं हुआ।
अब यदि इन उपायों की बाबत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से बातचीत की जाती है तो उनका एक ही जवाब होता है, दूसरे विभागों को जो जिम्मेदारी दी गयी थी, वह उन्होंने पूरी नहीं की है। वह आगे यह भी जोड़ देते हैं, इस बारे में कई बार पत्र लिखे, लेकिन परिणाम नहीं आया।
बेंगलुरु के नागरिक प्राधिकरण जैसे कि बेंगलुरु विकास प्राधिकरण और बेंगलुरु महानगर पालिक (बीबीएमपी) को शहर में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए44 सूत्रीय कार्य योजना के तहत कई कदम उठाने के लिए कहा गया। इसमें बीबीएमपी को गड्ढे और सड़क की कटिंग भरने का आग्रह किया था। इसके पीछे सोच यह थी कि सड़क पर वाहन आसानी से चल सके, वाहन चालक को गड्ढे की वजह से बार बार ब्रेक न लगानी पड़े। अब जब बीबीएमपी के जिम्मेदार अधिकारियों से इस बाबत जब बातचीत की तो उनका जवाब है, यह काम को नियमित तौर पर चलता ही रहता है। बीबीएमपी ने कहा कि पिछले वर्ष, प्रमुख सड़कों पर लगभग 1,430 गड्ढे भरे गए और लगभग 1.6 लाख वर्ग मीटर सड़क को भी ठीक किया गया है। उन्होंने दावा किया कि ध्वनी व वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बीबीएमपी शहर के अंदर की संपर्क सड़कों और शहर के बाहर की मुख्य सड़क की भी नियमित तौर पर मरम्मत कर रहे हैं, नई सड़क बना रहे हैं, जिससे यातायात सुचारु रुप से चलता रहे। लेकिन बीबीएपी के दावे के विपरीत अभी भी शहर की कई सड़कों पर गड्ढों की भरमार है। इसी तरह से बेंगलुरु विकास प्राधिकरण और बेंगलुरु महानगर पालिक को मिल कर बेंगलुरु से जुडने वाले सभी मुख्य राजमार्गों पर ट्रक टर्मिनल का निर्माण करना था। बेंगलुरु विकास प्राधिकरण का अपने लेआउट में बसों के लिए अलग से रास्ता बनाना था। इसके जवाब में बेंगलुरु विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि सभी स्टेट व नेशनल हाइवे प ट्रक टर्मिनलों का निर्माण कर दिया गया है। हाइवे के साथ लगने वाली बेंगलुरु विकास प्राधिकरण की जमीन की पहचान कर ली गयी है। शहर के लिए 2031 के प्रस्तावित मास्टर प्लान में बस के रूट के लिए नियम तैयार किए गए हैं। लेकिन दूसरी ओर हकीकत यह है कि बेंगलुरु विकास प्राधिकरण ने यह प्रस्तावित मास्टर प्लान 2015 में बना था, 2018 में इसमें संशोधन किया था, अभी तक यह कर्नाटक सरकार के पास मंजूरी के लिए पड़ा है।
अब कड़े कदम उठाने का वक्त आ गया है: विशेषज्ञों विशेषज्ञों का कहना है कि पहले ही काफी समय निकल गया है। अब वक्त आ गया हमें शहर को प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में काम करना चाहिए। शहर के वायुमंडल में पीएम (सुक्ष्मकणों की मात्रा ) 2.5 में 54 प्रतिशत, पीएम 10 में 70 प्रतिशत सल्फर डाइऑक्साइड में 35 प्रतिश की वृद्धि का अनुमान है। इसी तरह से नाइट्रोजन आॅक्साइड में 55 प्रतिशत, कार्बन मोनोऑक्साइड में 107 प्रतिशत, बेंगलुरु के वायुमंडल में उड़ने वाला कार्बन कणों की मात्रा 133 प्रतिशत तक बढ़ गयी है। अब यदि 2030 तक वायु प्रदूषण पर रोक लगानी है तो तेजी से कदम उठाने होंगे। क्योंकि आने वाले वक्त में सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़नी तय है। इससे प्रदूषण बढ़ाने वाले तत्वों में वृद्धि होगी। इसमें पचास प्रतिशत वाहनों से निकलने वाले हानिकारक तत्व 80 प्रतिशत तक सड़क और निर्माण क्षेत्र से उड़ने वाली धूल शामिल होगी। जिससे पीएम 2.5 करीब 60 प्रतिशत तक और पीएम 10 करीब 74 प्रतिशत तक हो जाएगा। भारतीय विज्ञान संस्थान के सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज के वैज्ञानिक डाक्टर टीवी रामचंद्र ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण उपायों पर तुरंत काम करना होगा। क्योंकि जिस तेजी से शहर का विकास हो रहा है, इससे प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है। यदि यहीं हाल रहता है तो 2025 तक शहर रहने लायक नहीं रहेगा। कंकरीट के जंगल में तब्दील हो रहे इस शहर में भारी प्रदूषण होगा।
शहर के प्रदूषण पर किए गए अध्ययन की एक रिपोर्ट में बताया गया कि अब हालात काबू से बाहर हो रहे हैं। इसे रोकने के लिए लोगों के बीच में बहुत तेजी से साइकिल को बढ़ावा देना होगा। इसके साथ ही इंधन से चलने वाले वाहनों पर रोक लगाने की दिशा में तेजी से काम करना होगा। सड़कों में सुधार करना होगा, जिससे जाम न लगे और वाहन कम से कम समय में अपना सफर पूरा कर सके। खुले में कचरा जलाना और गंदे पानी को कहीं भी छोड़ देने वालों के खिलाफ नियम बहुत कड़े करने होंगे। जिससे उनकी इस तरह की आदतों पर रोक लगे।
इकोलॉजिकल सिक्योरिटी ऑफ इंडिया के गवर्निंग काउंसिल मेंबर डाक्टर येलपा रेड्डी ने बताया कि बेगलुरु का वायुप्रदूषण अब अपनी सारी सीमा लांघ चुका है, अब शहर इससे ज्यादा प्रदूषण बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है। अब वक्त आ गया कि जिम्मेदार अधिकारी शहर और शहर के लोगों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए उचित और कड़े कदम उठाए। जिम्मेदार अथॉरिटी को अब तेजी से और प्रभावशाली निर्णय लेने होंगे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन को चाहिए कि वह जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्यवाही करें यदि वह बोर्ड के दिशानिर्देश को नहीं मान रहे हैं।
(कपिल काजल बेंगलुरु के स्वतंत्र पत्रकार है, वह 101Reporters.comअखिल भारतीय ग्रासरुट रिपोर्टस नेटवर्क के सदस्य है। )