Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
India

नहीं रहे भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक, आज सुबह हुआ निधन

भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक और आरएसएस के प्रचारक बलराज मधोक का सोमवार सुबह निधन हो गया। 96 साल की उम्र में इनका देहांत हुआ।

25 फरवरी 1920 को जम्मू-कश्मीर राज्य के अस्कार्डू में जन्मे बलराज मधोक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक, जम्मू-कश्मीर प्रजा परिषद के संस्थापक और मंत्री, भारतीय जनसंघ के सह-संस्थापक और अध्यक्ष, वे लोकसभा सदस्य भी रहे। 1938 में आरएसएस के संपर्क में आने वाले मधोक 1942 में आरएसएस के प्रचारक बने। 1942-43 में वो जम्मू में रहे।

कश्मीर को भारत में शामिल कराने में आरएसएस का योगदान रहा। शेख अब्दुला का भाषण सुनने के बाद मधोक,सरदार पटेल और अन्य लोगों से मिले और महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की। आरएसएस के मुखिया गोलवलकर ने मुख्य भूमिका निभाई और हरी सिंह को कश्मीर को भारत में शामिल करने के लिए मनाया।

सन 1942 में भारतीय सेना में सेवा (कमीशन) का प्रस्ताव ठुकराते हुए उन्होने के प्रचारक के रूप में देश की सेवा करने का निश्चय किया।

बलराज मधोक : कश्मीर के विलय से लेकर जनसंघ के आखिरी दिनों तक 

25 फरवरी 1920 को जम्मू-कश्मीर राज्य के अस्कार्डू में जन्म हुआ था। उनके पिता जगन्नाथ मधोक, पश्चिम पंजाब के गुजरांवाला जिले में एफ सी कॉलेज से स्नातक होने के बाद राज्य सेवा में शामिल हुए थे। मधोक का बचपन इसी जगह गुजरा। सरस्वती देवी एक निपुण गृहिणी थी।

हालांकि, उनकी प्रारम्भिक शिक्षा श्रीनगर में हुई और मैट्रिक के बाद 1936 में वो प्रिंस वेल्स कॉलेज और D.A.V. कॉलेज लाहौर चले गए। 1940 में, पंजाब विश्वविद्यालय से बी ए ऑनर्स (इतिहास) किया और फर्स्ट क्लास रहे। एक अच्छे एथलीट और खिलाड़ी, बलराज आरएसएस के संपर्क में 1938 में आये। 1942 में आरएसएस के कार्यकर्ता बनने के साथ ही जम्मू में एक अच्छा नेटवर्क स्थापित किया और 1944 में कश्मीर घाटी पर चले गए। विभाजन के बाद 15 छात्रों से बातचीत करते हुए उन्होंने इसे अस्थाई बताते हुए भविष्यवाणी की है कि पाकिस्तान लंबे समय भारत के कट्टर दुश्मन बना रहेगा, यदि यह बचता है।

उन मुश्किल दिनों में, मधोक ने जम्मू-कश्मीर को भारत के राज्य के रूप में और पाकिस्तान को रोकने की रणनीति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शेख अब्दुल्ला को वहां की सत्ता दिए जाने का पुरजोर विरोध किया मधोक ने। कश्मीर के भारत विलय पर शेख अब्दुल्ला कुछ नहीं बोल रहे थे। भारतीय जवानों के शौर्य और उनके बलिदान पर भी वो मौन थे जिन्होंने अपनी प्राणों की आहुति देकर भी कश्मीर को बचाया था पाकिस्तान के हाथों में जाने से।शेख अब्दुल्ला ने मधोक को मारने की साजिश भी रची थी।

नवम्बर 1947 में उन्होंने जम्मू प्रजा परिषद की स्थापना की। उन्होंने सरदार पटेल और पंडित से मिलने के लिए दिल्ली का दौरा किया। फरवरी 1948 में नेहरू से मिले और उन्हें अब्दुल्ला की भारत विरोधी योजनाओं और नीतियों से अवगत कराया। अब्दुल्ला ने उन्हें और उनके पिता को राज्य से बाहर कर दिया।

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मिलने के बाद जनसंघ की स्थापना में उनके साथ जुड़े। उन्हें जनसंघ का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया। 1961 में नयी दिल्ली लोकसभा सीट से वो सांसद भी चुने गए। 1965 में जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे। दूसरी बार 1967 में लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए। मधोक को जनसंघ से बाहर करने के लिए साजिश भी रची गई थी। इमरजेंसी के दौरान मधोक को 18 महीनों तक ‘मीसा’ के तहत हिरासत में रखा गया था।

बलराज ने करीब 30 पुस्तकें भी लिखीं जिनमें प्रमुख थी:

2012 में मधोक को वीर सावरकर पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था। 

अपनी पार्टी को आगे नहीं बढ़ा पाए 

मधोक ने हमेशा ही जनसंघ के जनता पार्टी में विलय की खिलाफत की। और अंतत: 1979 में उन्होंने भारतीय जनसंघ को जनता पार्टी से अलग कर लिया। उन्हें हमेशा ही ये बात दुःख देती थी कि वो अपनी पार्टी का विस्तार नहीं कर पाए।

डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट करके दी श्रद्धांजलि

केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट करके मधोक को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने लिखा- ‘बलराज मधोक का स्वर्गवास। भारत ने एक महान बुद्धिजीवी, विचारक और समाज सुधारक खो दिया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।.’

साथ ही उन्होंने ट्वीट करके ये जानकारी दी कि बलराज मधोक का अंतिम संस्कार शनि नगर स्थित श्मशान घाट पर शाम 5 बजे किया जायेगा।

HARSH VARDHAN

 

Related posts

कैबिनेट विस्तार : पीएम मोदी ने दी नए मंत्रियों को बधाई

Namita
7 years ago

शिमला में बस दुर्घटना के बाद उत्तराखंड सरकार ने की मुआवजें की घोषणा!

Namita
8 years ago

आतंकी कयूम ने किया पकिस्तान को बेनकाब !

Vasundhra
8 years ago
Exit mobile version