बिहार की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. आरजेडी और जेडीयू की साझेदारी वाली सरकार में अनबन की ख़बरें हैं. फिर मामला चाहे शराबबंदी का हो या फिर सिवान के पत्रकार की हत्या का. अब ये दोनों दल आमने-सामने आ चुके हैं. लेकिन इन दोनों दलों के मुखियाओं के बीच भी मनमुटाव देखने को मिला जब शहाबुद्दीन की रिहाई हुई. हालाँकि शहाबुद्दीन की रिहाई के वक्त जेल के बाहर बिहार सरकार के दर्जनों मंत्री काफिला लेकर स्वागत करने पहुंचे थे.
शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने को लेकर बढ़ा विवाद:
- शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद नितीश सरकार की बहुत आलोचना हुई.
- बिहार के लोगों में भी खौफ का माहौल था.
- बढ़ रहे दबाव के बाद नितीश सरकार ने जमानत रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की.
- वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण की शहाबुद्दीन को जमानत देने के पटना हाई कोर्ट के निर्णय खिलाफ SC गए.
- नितीश सरकार का ये निर्णय लालू यादव को रास नहीं आया था.
- आरजेडी के कई नेताओं ने नितीश पर निशाना साधा था.
- ये विवाद काफी गहराता जा रहा है.
अब इस मुद्दे को बीजेपी भुनाने में लगी है. बिहार में बीजेपी के नेता मंगल पाण्डेय ने तो मध्यावधि चुनाव की भविष्यवाणी भी कर दी है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं को चुनाव के लिए तैयार रहने को कहा गया है. जिस प्रकार से लालू और नितीश में अनबन बढ़ रही है वो बिहार चुनाव दुबारा होने के संकेत हैं.
हालाँकि महागठबंधन के एक सहयोगी कांग्रेस ने इसे बीजेपी की निराशा करार दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि बीजेपी ये नहीं देख पा रही है कि कैसे सरकार अच्छी तरह चल रही है.