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बिहार: नोटबंदी का लाभ बैंकों के कारण न मिल सका- नीतीश कुमार

bihar nitish kumar 64th quarterly meeting State Bankers Committee

bihar nitish kumar 64th quarterly meeting State Bankers Committee

एक कार्यक्रम के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नोटबंदी और बैंकों की भूमिका के बारे में खुल कर बात की. नीतीश कुमार ने कहा कि नोटबंदी का फ़ायदा जितना लोगों को मिलना चाहिए था, बैंकों की भूमिका के कारण उतना नहीं मिल सका. 

राजस्तरीय बैंकर्स कमिटी 64वीं त्रैमासिक बैठक में हुए शामिल:

नोटबंदी का खुल कर समर्थन करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि बैंकों की भूमिका के कारण नोटबंदी का लाभ जितना लोगों को मिलना चाहिए था, उतना नहीं मिल पाया. उन्होंने कहा कि देश की प्रगति में बैंकों की बड़ी भूमिका है.

बीती शाम पटना में राजस्तरीय बैंकर्स कमिटी (एसएलबीसी) की 64 वीं त्रैमासिक बैठक का आयोजन हुआ जिसमे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अलावा उपमुख्यमंत्री और सह वित्त मंत्री सुशिल मोदी ने भाग लिया.

इस अवसर पर कृषि मंत्री प्रेम कुमार, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, उद्योग मंत्री जय कुमार सिंह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के वितीय सेवा विभाग के निदेशक सुधीर श्याम, नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक एस़क़े मजूमदार सहित बैंकों के अधिकारी उपस्थित थे.

बैंकों का काम सिर्फ जमा, निकासी और ऋण देना नहीं: नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, बैंकों का सिर्फ जमा, निकासी एवं ऋण प्रदान करना ही कार्य नहीं है, बल्कि एक-एक योजना में बैंकों की भूमिका बढ़ गई है.

उन्होंने कहा कि “देश में विकास के लिए जो धनराशि सरकार मुहैया कराती है, उसके सही आवंटन के लिए बैकों को अपने तंत्र सुदृढ़ करने होंगे. बैंक ‘ऑटोनोमस’ है, ऊपर से नीचे तक इन चीजों को देखना होगा.”

बैंकिंग संस्थानों को और मजबूत करने की जरूरत बताते हुए नीतीश ने कहा कि बैंकों की भूमिका दिन-प्रतिदिन और बढ़ेगी. मुख्यमंत्री ने कहा, “आबीआई के मानक के अनुसार पांच हजार की आबादी पर बैंक की शाखा होनी चाहिए. देश में 11 हजार की आबादी पर बैंक शाखा है और बिहार में 16 हजार की आबादी पर बैंक शाखा है. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि बैंकों की संख्या कितनी तेजी से बढ़ानी पड़ेगी.”

ऋण के कड़े मापदंडों पर चिंता जाहिर करते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार में क्रेडिट डिपोजिट रेसियो 50 प्रतिशत से भी कम है, जबकि राष्ट्रीय औसत 70 प्रतिशत के करीब है. उन्होंने कहा, “बिहार के लोगों में कर्ज लेने की प्रवृत्ति ज्यादा नहीं है, जो लेना भी चाहते हैं, उसके बैंकों ने कड़े मापदंड तय कर रखे हैं. उसमें उन्हें काफी परेशानी होती है.”

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