अंतिम उप चुनाव को लेकर बीजेपी सरकार वेहद चिंतित है। वही विचार मंथन के बाद उनकी मंशा कांग्रेस की कर्ज मांफी वाली राह पर चलती हुई नजर आ रही है। जिस दिन कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ले रहे थे, बीजेपी किसानों की कर्जमाफी पर गहन सोच विचार कर रही है। और कैबिनेट की मुहर लगने के बाद कर्ज मांफी का उन्होंने असम में ऐलान भी कर दिया था। माना जा रहा है कि विधानसभा चुनावों में किसानों से कांग्रेसी के कर्जमाफी के वादे ने निर्णायक भूमिका निभायी। वादे के मुताबिक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने शपथ लेने के कुछ घंटों के भीतर ही कर्जमाफी का ऐलान कर दिया था। असम की तरह गुजरात की बीजेपी सरकार ने किसानों की कर्जमाफी तो नहीं, लेकिन बिजली बिल माफ करने की घोषणा जरूर कर दी है। हालांकि, गुजरात सरकार को इस घोषणा के लिए चुनाव आयोग का नोटिस भी मिल चुका है, क्योंकि ये ऐलान राजकोट जिले में होने वाले एक उपचुनाव के लिए वोटिंग से दो दिन पहले ही किया गया है।
सिर्फ एक उपचुनाव के लिए किया यह सब
- गुजरात में राजकोट जिले की जसदण विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए डाले गए वोट।
- कांग्रेस भी पूरी ताकत लगाती आई नजर।
- बीजेपी ने लगता है प्रतिष्ठा का बना लिया प्रश्न।
- वरना, वोटिंग के ऐन पहले बिजली बिल माफ करने की घोषणा कर चुनाव आयोग का नोटिस झेलने की नहीं थी जरूरत।
- बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए यह चुनाव की है अहमियता।
- क्योंकि 2019 से पहले ये आखिरी है उपचुनाव।
हार के बाद बीजेपी पर नजर आया दबाव
गुजरात में बीजेपी सरकार के एकमुश्त समाधान योजना के तहत कोई भी सिर्फ ₹500 देकर अपना कृषि, घरेलू और वाणिज्यक बिजली कनेक्शन फिर से चालू करा सकता है।बिजली बिल के तौर पर बकाया राशि ₹625 करोड़ है। वक्त पर बिल न जमा करने के चलते 6.20 लाख लोगों के बिजली कनेक्शन काट दिये गये थे।
- गुजरात की बीजेपी सरकार ने ऐसे सभी लोगों को ₹500 में बिजली सुविधा बहाल कराने का दिया मौका।
- फायदा उठाने वालों में किसान भी हैं जिनके लिए ये है कुछ कुछ कर्जमाफी जैसा।
- असम की सर्बानंद सोनवाल सरकार ने कर्जमाफी की जो की थी घोषणा।
- वो रकम भी गुजरात सरकार के बिजली बिल से थोड़ा ही है कम।
- असम सरकार ने ₹600 करोड़ रुपये का कर्ज माफ करने का किया है फैसला।
सरकार की इस घोषणा से राज्य के आठ लाख किसानों को होगा फायदा
असम सरकार के प्रवक्ता के अनुसार, कर्ज राहत योजना के तहत किसानों द्वारा अब तक लिये गये कर्ज में से 25 फीसदी माफ किया जाएगा। इसका अधिकतम फायदा 25 हजार तक होगा। गुजरात सरकार का फैसला तो उपचुनाव के चलते लगता है लेकिन असम में पंचायत चुनाव के बाद क्यों? असम में पंचायत चुनाव के लिए 5 और 9 दिसंबर को वोट डाले गये थे और नतीजे विधानसभा चुनावों के रिजल्ट के एक दिन बाद 12 दिसंबर को आये।
- बीजेपी के लिए राहत की बात ये रही कि उसने 50 फीसदी सीटों पर हासिल की जीत।
- हालांकि, 2013 में जब जब तरुण गोगोई की सरकार थी, कांग्रेस ने जीती थी80 फीसदी सीटें।
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