प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवम्बर को नोटबंदी का फैसला लिया था। जिसके बाद 500 और 1000 रूपए के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था। पीएम ने ये फैसला भले ही जालीनोट, भ्रष्टाचार और काले धन पर रोक लगाने के लिए हो। लेकिन इस फैसले का बुरा असर देश भर के आम कारोबारियों उनके कारोबार और उससे जुड़े मजदूरों पर पड़ा है। बता दें की नोटबंदी के बाद बिहार की पीतलनगरी में हाहाकार मचा हुआ है.जिससे के चलते बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।
ये है बिहार के मजदूरों का हाल
- जालीनोट, भ्रष्टाचार और काले धन पर रोक लगाने के लिए पीएम मोदी नो नोटबंदी का फैसला लिया था।
- लेकिन इसका बुरा असर देश भर के छोटे कारोबारों और उनसे जुड़े मजदूरों पर देखने को मिला है।
- यूपी के ताजनगरी में जहाँ पर्यटन से जुड़े हुए कारोबारियों पर इसका बुरा असर पड़ा है।
- वहीँ बिहार की पीतलनगरी में हाहाकार मचा हुआ है।
- जिससे के चलते बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।
- बता दें कि बिहार के बिहटा के परेव गांव में पीतल के बर्तन बनाए जाते हैं।
- नोटबंदी से पहले यहां बड़ी संख्या में इस कारोबार में मजदूर काम करते थे,
- लेकिन नोटबंदी के बाद अब इन मजदूरों की संख्या काफी घट गई है।
- पीतल के बर्तन बनाने वाले एक कारोबारी रामेश्वर प्रसाद का कहना है की नोटबंदी से हम लोग करीब-करीब बेरोजगार ही हो गए हैं।
- रामेश्वर ने बताया कि फैक्ट्री में काम करने वाले सभी मजदूर यूपी के मिर्जापुर के रहने वाले हैं।
- मजदूरों का कहना है कि पैसे की किल्लत की वजह से परिवार की हालत खराब हो गई है।
- पीतल के बर्तन के बाजार का भी बुरा हाल है. बिक्री काफी कम हो गई है।
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