बजट पेश होने में सिर्फ 9 दिन बाकी हैं और दिनोंदिन इस बात की चर्चा बढ़ती जा रही है कि आने वाले बजट में क्या होगा. अब इसको लेकर सरकार की तरफ से एक बड़ी खबर आई है. चीनी विकास कोष को इस बजट में मायूसी हाथ लग सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि सरकार आने वाले बजट 2018-19 में चीनी विकास कोष-शुगर डेवलपमेंट फंड (एसडीएफ) के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान कर सकती है जो इस साल के बजट की तुलना में नाम मात्र का इजाफा होगा. साल 2017-18 में एसडीएफ के लिए 496 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था.
खाद्य मंत्रालय करता है एसडीएफ का प्रबंधन
एसडीएफ का प्रबंधन खाद्य मंत्रालय करता है जिसका इस्तेमाल मिलों को कम ब्याज दर पर कर्ज उपलब्ध कराने में इस्तेमाल किया जाता है. पिछले वित्त वर्ष तक यह कोष चीनी मिलों पर सेस लगा कर जुटाया जाता था. पिछले साल जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद चीनी सेस खत्म कर दिया गया था. साल 2017-18 में एसडीएफ के लिए 496 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया.
एग्रीकल्चर सेक्टर में मॉडल कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट तैयार होगा
1 फरवरी 2017 को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा की थी कि एग्रीकल्चर सेक्टर में मॉडल कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट तैयार किया जाएगा, जिसे राज्य सरकारें अपने-अपने राज्य में लागू करेंगी. लेकिन एक्ट का ड्राफ्ट दिसंबर 2017 के आखिरी सप्ताह में तैयार किया गया जिस पर अभी आपत्तियां व सुझाव मांगे गए हैं. इस ड्राफ्ट का विरोध भी शुरू हो गया है. ऐसे में नहीं लगता कि इस साल तक सभी राज्य इस मॉडल एक्ट को लागू कर पाएंगे.
तेल की कीमतों में आ सकती है कमी
फिलहाल तेल पर एक्साइज ड्यूटी की दर तय है. वर्तमान में पेट्रोल पर 19 रुपये 48 पैसे और डीजल पर 15 रुपये 33 पेसे एक्साइज ड्यूटी वसूली जाती है. गौर करने वाली बात यह है कि कच्चे तेल के दाम कितने भी बढ़ जाएं, केंद्र सरकार को अतिरिक्त कमाई नहीं होती. राज्यों में कीमत का एक फीसदी टैक्स के रूप में लगता है. ऐसे में जब भी कच्चे तेल की कीमत बढ़ती है तो राज्य सरकारों को ज्यादा कमाई होती है. जबकि केंद्र सरकार की कमाई में कोई फर्क नहीं पड़ता. इसलिए अब इस बात पर विचार किया जा रहा है कि राज्य सरकारों को भी दाम कम करने पर प्रोतसाहित किया जा सके.