बजट पेश होने में सिर्फ कुछ ही दिन बाकी हैं और दिनोंदिन इस बात की चर्चा बढ़ती जा रही है कि आने वाले बजट में क्या होगा. अब इसको लेकर सरकार की तरफ से एक बड़ी खबर आई है. चीनी विकास कोष को इस बजट में मायूसी हाथ लग सकती है. ऐसा माना जा रहा है कि सरकार आने वाले बजट 2018-19 में चीनी विकास कोष-शुगर डेवलपमेंट फंड (एसडीएफ) के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान कर सकती है जो इस साल के बजट की तुलना में नाम मात्र का इजाफा होगा. साल 2017-18 में एसडीएफ के लिए 496 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था.
होमबायर्स को अरुण जेटली दे सकते हैं सौगात
बजट पेश होने में कुछ दिन बाकी है, बता दें कि GST काउंसिल की बैठक में फैसला लिया गया था कि होमबायर्स को अब 12 फीसदी की बजाय 8 फीसदी जीएसटी ही चुकाना होगा. यह सुविधा अंडर-कंस्ट्रक्शन मकानों और सीएलएसएस की स्कीम के तहत खरीदे गए घरों पर ही मिल सकती है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज ऐंज कस्टम्स के मुताबिक, सबसे महत्वपूर्ण सिफारिशों में से हाउसिंग सेक्टर में निर्माणाधीन मकानों और क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम के तहत खरीदे गए घरों पर जीएसटी में कटौती करना है. होमबायर्स को प्रधानमंत्री आवास योजना की क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम के तहत कम ब्याज चुकाना होगा. क्रेडिट लिंक सब्सिडी स्कीम के तहत खरीदे गए घरों पर लोगों को गुरुवार से कम जीएसटी देना होगा. इसके लिए शर्त यह है कि घर या अपार्टमेंट का कार्पेट एरिया 150 स्वैयर मीटर यानी 1,615 स्क्वैयर फीट से अधिक न हो.
खाद्य मंत्रालय करता है एसडीएफ का प्रबंधन
एसडीएफ का प्रबंधन खाद्य मंत्रालय करता है जिसका इस्तेमाल मिलों को कम ब्याज दर पर कर्ज उपलब्ध कराने में इस्तेमाल किया जाता है. पिछले वित्त वर्ष तक यह कोष चीनी मिलों पर सेस लगा कर जुटाया जाता था. पिछले साल जुलाई में जीएसटी लागू होने के बाद चीनी सेस खत्म कर दिया गया था. साल 2017-18 में एसडीएफ के लिए 496 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया.
एग्रीकल्चर सेक्टर में मॉडल कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट तैयार होगा
1 फरवरी 2017 को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा की थी कि एग्रीकल्चर सेक्टर में मॉडल कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग एक्ट तैयार किया जाएगा, जिसे राज्य सरकारें अपने-अपने राज्य में लागू करेंगी. लेकिन एक्ट का ड्राफ्ट दिसंबर 2017 के आखिरी सप्ताह में तैयार किया गया जिस पर अभी आपत्तियां व सुझाव मांगे गए हैं. इस ड्राफ्ट का विरोध भी शुरू हो गया है. ऐसे में नहीं लगता कि इस साल तक सभी राज्य इस मॉडल एक्ट को लागू कर पाएंगे.