इन दिनों जहाँ सीबीआई विवाद सुर्ख़ियों में हैं, वहीं सभी ये जानने को आतुर है कि आखिर राफेल और सीबीआई का कितना और क्या जोड़ है. इसी कड़ी में दिल्ली के खोजी पत्रकार नवीन चतुर्वेदी ने प्रेस वार्ता करते हुए तीन अलग अलग घोटालों पर प्रकाश डाला. नवीन के मुताबिक़ ये तीनों घोटाले भले ही अलग अलग है लेकिन कहीं न कहीं आपस में जुड़े हुए हैं.
जिन तीन घोटालों के बारे खोजी पत्रकार नवीन ने बताया उनमें न केवल बहुचर्चित राफेल, बल्कि हालिया सीबीआई मामला और इसके साथ बुलेट प्रूफ जैकेट डील भी शामिल है.
-सीबीआई कार्यवाहक निदेशक नागेश्वर राव का दागी इतिहास और जूनियर अधिकारी होने के बावजूद उनको नियुक्त किया जाना मोदी सरकार की खोटी नियत और भ्रष्टों का साथ साबित करता है.
-यदि आलोक वर्मा को ना हटाया जाता तो राफेल घोटाले के साथ साथ एक और घोटाला बुलेट प्रूफ जैकेट 639 करोड़ का खुलासा सीबीआई जाँच में निकल आता और इस आग की तपिश फिर से कई नए नामों को झुलसा देती.
-एक लाख छियासी हजार बुलेट प्रूफ जैकेट डील [639 करोड़ ] और राफेल का क्या है इंटरनल कनेक्शन?
मध्यप्रदेश भाजपा पार्टी फंड में 119 करोड़ ग़ायब होने का खुलासा करने वाले नवीन चतुर्वेदी ने खुलासा करते हुए बताया कि पूरा विषय रक्षा सौदे राफेल और सीबीआई के इर्द गिर्द घूम रहा है. सीबीआई में हुआ लेटेस्ट हाई वोल्टेज सियासी ड्रामा सिर्फ सच को छुपाने के लिए किया गया था और केंद्र की मोदी सरकार ने वहां अपने पसंदीदा अधिकारी नागेश्वर राव को अंतरिम कार्यवाहक निदेशक नियुक्त कर दिया।
अंतरिम कार्यवाहक निदेशक नागेश्वर राव का दागी इतिहास:
उन्होंने नागेश्वर राव के पिछले दागी इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए उन्हें कार्यवाहक निदेशक बनाने को लेकर मोदी सरकार की नियत में सवाल उठाया.
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=””]सीबीआई कार्यवाहक निदेशक नागेश्वर राव का दागी इतिहास और जूनियर अधिकारी होने के बावजूद उनको नियुक्त किया जाना मोदी सरकार की खोटी नियत और भ्रष्टों का साथ साबित करता है. [/penci_blockquote]
यह नागेश्वर राव का एनुअल प्रॉपर्टी रिटर्न है जो गृह मंत्रालय में जमा किया गया था. इसके अनुसार एक प्रॉपर्टी आंध्र प्रदेश में नागेश्वर राव की पत्नी के नाम से होना बताया गया है ,जो उनकी पत्नी और साले के जॉइंट नाम पर है. इसके लिए 25 लाख रूपये एक कंपनी एंजेला मर्केंटाइल प्राइवेट लिमिटेड से ऋण लेना बताया गया है।
इस कंपनी का ऑफिस साल्ट लेक एरिया कोलकाता में दिखाया जाता है और इसके मालिकान प्रतीक अग्रवाल वगैरह मूल रूप से मध्यप्रदेश के निवासी है.
इस कम्पनी के शेयर होल्डर्स काफी नामचीन रूंगटा ग्रुप्स भी है तो दूसरी तरफ नागेश्वर राव की पत्नी भी इस कंपनी में शेयर होल्डर है जिनका करीब 60 लाख का निवेश है. यहां और वो यहां से उक्त प्रॉपर्टी खरीद करने के लिए 25 लाख का ऋण लेती है.
शेयर होल्डर लिस्ट में आप देख सकते है हर एक शेयर होल्डर ने अपना पता अलग लिखा है लेकिन नागेश्वर राव की पत्नी मन्नाम संध्या जिनका नाम लिस्ट में सबसे नीचे है वो वही पता लिखवाती है जो इस कंपनी का पता है और यहां वो अपने पति नागेश्वर राव की जगह अपने पिता का नाम लिखती है.
हकीकत में साल्ट लेक कॉलोनी का वो पता मात्र 200 स्क्वायर फ़ीट का एक छोटा सा ऑफिस है और उस पते पर अन्य कंपनियां भी संचालित हो रही है।
उपरोक्त मसला सीधे सीधे मनी लॉन्डरिंग और रिश्वत के पैसे यहां खपाने और ऋण के नाम पर वापस लेने का खेल है। इस कंपनी के मालिकों का मूल निवास मध्यप्रदेश है और इनका काम कोलकाता से हवाला और मनी लॉन्डरिंग शैल कंपनियों के जरिये करना रहा है. यही इन कंपनियों के रिकॉर्ड के अध्ययन से साबित होता है।
यह एक छोटा सा मामूली उदाहरण मात्र है किस तरह इस मामले की जानकारी सीबीआई और सीवीसी को होने के बावजूद मोदी सरकार नागेश्वर राव को कार्यवाहक निदेशक नियुक्त करती है. जिसका मतलब यही है कि उनको अपना रबड़ स्टाम्प टाइप अधिकारी सीबीआई में निदेशक बनाना रहा था ताकि राफेल घोटाले की जांच न हो पाए।
आलोक वर्मा को हटाने पर दो खोटाले आ जाते सामने:
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=””]यदि आलोक वर्मा को न हटाया जाता तो राफेल घोटाले के साथ साथ एक और घोटाले बुलेट प्रूफ जैकेट 639 करोड़ का खुलासा सीबीआई जाँच में निकल आता और इस आग की तपिश फिर से कई नए नामों को झुलसा देती. [/penci_blockquote]
इसी साल अप्रैल में एक खबर आई थी कि आर्मी के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट खरीद डील 639 करोड़ की हुई है. इस डील में भी घोटाला हुआ जिसको इस तरीके से समझिए.
मध्यप्रदेश के पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह इन दिनों भाजपा सरकार से अपने रसूख का फायदा उठाते हुए रक्षा मंत्रालय अंतर्गत मिश्र धातु निगम लिमिटेड में इंडिपेंडेंट निदेशक के तौर पर नियुक्त है. यह पीएसयू आर्म्ड फोर्सेज के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट्स और वाहन बनाता आया है।
उदाहरण के लिए आप इस मिनी रत्न दर्जा प्राप्त पीएसयू मिश्र धातु निगम लिमिटेड के वर्ष 2017 -18 की वार्षिक रिपोर्ट के एक अंश का हिस्सा पढ़िए. जहाँ चेयरमैन साहब बताते है कंपनी प्रॉफिट में है.
साल 2016-17 में काफी बेहतर परफॉर्म किया था. इस वर्ष सेल ग्रोथ और ज्यादा हो सकती थी लेकिन कम हुई क्योंकि कुछ क्रिटिकल इक्विपमेंट नहीं थे.
मोदी सरकार ने जिस तरह राफेल डील में रिलायंस कम्पनी को तरज़ीह देते हुए हिंदुस्तान एरनॉटिक्स लिमिटेड को साइड कर दिया था. ठीक उसी तरह यहाँ भी इस मिनी रत्न पीएसयू को गर्त में धकेलने की तैयारी जारी है.
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”none” author=””]पीएसयू के हाथों से 639 करोड़ का बुलेट प्रूफ जैकेट डील छीन कर एक गुमनाम सी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दे दिया है। [/penci_blockquote]
मोदी सरकार के समक्ष असहाय हो गए होंगे तभी वो लोग कुछ कह नहीं पाए और एक लाख छियासी हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की डील 639 करोड़ वाली एक गुमनाम कंपनी को 9 अप्रैल 2018 को दे दी जाती है।
Members SM Pulp Packaging Private Limited को रक्षा विभाग से लाइसेंस मिला था. सन 2008 में बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने के लिए यह रिपोर्ट का स्क्रीन शॉट फरवरी 2018 तक DIPP से जारी लाइसेंस सूडा कंपनियों के डेटा से लिया गया है. यहां आप इस कम्पनी की क्षमता 25000 जैकेट प्रति वर्ष बनाने की देखेंगे और कम्पनी का पता संगरूर पंजाब का है।
रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनीज़ का नाम अब एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड:
जब इस कम्पनी को आप रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनीज़ पर चैक करेंगे तो इस कम्पनी का नाम बदल कर अब एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड हो चुका है हालाँकि नाम परिवर्तन की सूचना डीआईपीपी लाइसेंस पर दर्ज नहीं है जबकि नाम परिवर्तन 2016 में हो चुका है और डीआईपीपी की यह लिस्ट फरवरी 2018 की है।
रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज के अनुसार कम्पनी की कुल जमा शेयर कैपिटल बीस लाख रूपये है और मार्च 2017 तक की बैलेंसशीट दी गई है।
मात्र बीस लाख की कैपिटल होने के बावजूद कंपनी को 639 करोड़ का ठेका दिया गया है. कंपनी पर करीब 45 करोड़ का बैंक ऋण भी है।
कंपनी के पते पर भी गये पत्रकार:
कंपनी ने एक लाख छियासी हजार बुलेट प्रूफ जैकेट 639 करोड़ की डील को प्रमुखता से जगह दी है. वेबसाइट के कांटेक्ट पेज पर जो पता दिया गया है वो डीआईपीपी के लाइसेंस पर दर्ज पता रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज में दिए हुए पते से एक दम अलग संगरूर की जगह दिल्ली में बताया गया है।
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”left” author=””]खोजी पत्रकार ने इस कंपनी के सभी पतों पर जा कर देखा, चाहे वो संगरूर हो या दिल्ली, मुझे वहां ऐसा कुछ भारी भरकम तामझाम नहीं देखने को मिला, जैसा वेबसाइट पर दिखाया गया है। [/penci_blockquote]
यदि आप कंपनी के इस लिंक को पढ़े तब पता चलेगा कि ये बुलेट प्रूफ जैकेट की डिलीवरी अगले तीन सालों में यानी 2022 तक दे पाएंगे.
3 सालों ने जैकेट देने का है करार पर क्षमता के मुताबिक़ 7 साल का वक्त चाहिए:
लेकिन 3 साल या 2022 तक भी एक लाख छियासी हजार जैकेट की डिलीवरी हो जाये उसमे संशय ही है क्योंकि लाइसेंस के मुताबिक कम्पनी की क्षमता 25000 जैकेट की है. इस हिसाब से 7 साल का वक़्त लगना चाहिए।
जब आप वेबसाइट पर मौजूद सोशल मीडिया लिंक्स पर जायेंगे तब पता चलेगा कि कंपनी के फेसबुक, टवीटर, लिंक्डइन सब प्रोफाइल टेंडर मिलने से ठीक पहले मार्च 2018 में बनाये गए है.
कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉक्टर एस सी कंसल और इनके पुत्र आशीष कंसल एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर दोनों को आप किसी भी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर नहीं खोज पाएंगे ,इनका कोई पेज फेसबुक टवीटर लिंक्डइन पर नहीं है और यह काफी अजीब लगता है. आज के इस दौर में जब हर दूसरा आदमी सोशल मीडिया का आदी बन चुका है।
एक गुमनाम फर्म को दिया गया 639 करोड़ का टेंडर:
पूरे प्रकरण से साफ़ है कि सिर्फ दलाली खाने के लिए ही इस गुमनाम फर्म को 639 करोड़ का ठेका दिया गया था और इस दलाली के लालच ने ही बुलेट प्रूफ जैकेट की डील सरकारी कंपनी मिश्र धातु निगम लिमिटेड से छीन कर यहां पहुंचा दी। ठीक उसी तरह जैसे हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड से डील छीन कर रिलायंस को दी गई।
स्वतंत्र निदेशक पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह समेत पूरा मैनेजमेंट शांत:
मिश्र धातु निगम लिमिटेड के स्वतंत्र निदेशक पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह समेत पूरा मैनेजमेंट इस धांधली पर रहसय मई चुप्पी पर है, जबकि पूर्व डीजीपी सुरेंद्र सिंह से एक आईपीएस होने के नाते उम्मीद की जा सकती है कि वो बुलेट प्रूफ जैकेट की अहमियत एक सिपाही के लिए क्या होगी, ज्यादा बेहतर समझते होंगे.
लेकिन इंडिपेंडेंट निदेशक का पद और आगामी भविष्य में कोई और पद मिलने का लोभ शायद उन्हें चुप रहने पर मजबूर करता हुआ होगा।
[penci_blockquote style=”style-3″ align=”left” author=””]बात -बात पर सेना का सम्मान गौरव और राष्ट्रवाद का नगाड़ा बजाने वाली राष्ट्रवादी सरकार कैसे सैनिको के लिए अहम बुलेट प्रूफ जैकेट की डील पर इतनी शिथिल है कि गुमनाम कम्पनी से दलाली मिल जाए सिर्फ इसलिए सरकारी कम्पनी को डुबो रही है और सैनिको के जीवन के साथ खिलवाड़ भी कर रही है। [/penci_blockquote]
1 लाख 86 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट डील [639 करोड़ ] और राफेल का आंतरिक संबंध
खोजी पत्रकार नवीन ने बताया, मैंने ही राफेल जहाज घोटाले से संबंधित रिसर्च व स्पेशल स्टोरी की थी. घोटाले से जुड़ा एक दस्तावेज़ जो मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेंस का है, उसे अहम सबूत के साथ मेरे द्वारा कांग्रेस पार्टी को दिया गया और कांग्रेस ने वो दस्तावेज़ सीबीआई और सीवीसी को अपने ज्ञापन में सौंपा था.
यदि उसकी जाँच होती तो राफेल के साथ साथ घोटाले की आंच आगे बढ़ कर इस बुलेट प्रूफ जैकेट डील पर भी आ जाती। इसी लिए तुरंत आधी रात को आलोक वर्मा को हटा कर छुट्टी पर भेज दिया गया और उनका दफ्तर सील कर दिया गया, ताकि ये सब दस्तावेज़ जांच के घेरे में न आ पाए।
आप इस संलग्न फाइल पीडीफ को देखिये जो रक्षा मंत्रालय द्वारा 4 जुलाई 2017 को तैयार किया गया है और सरकार के इन 3 सालों का रिपोर्ट कार्ड बताता है 2014 -2017 तक।
सूची में नहीं था रिलायंस का नाम शामिल:
यहां रक्षा मंत्रालय ने 31 मई 2017 तक की अपडेटेड निजी कंपनियों की सूची जारी की है जिनका जॉइंट वेंचर रक्षा मंत्रालय द्वारा सर्टिफाइड है और साथ ही एक सूची और है, जो रक्षा मंत्रालय द्वारा निजी कंपनियों की है जिनको लाइसेंस दिया गया था.
आप इस लिस्ट को गौर से देखिये, अनिल अम्बानी वाली रिलायंस का नाम इस लिस्ट में नहीं है जबकि अप्रैल 2015 में रिलायंस डिफेन्स बनी. फ़्रांस की कंपनी डसाल्ट से एमओयू हुआ.
28oct indore press club conference pdf
सितम्बर 2016 में आधिकारिक घोषणा होती है,नागपुर में भूमि पूजन होता है , खूब सारा मीडिया में हल्ला मच जाता है लेकिन रिलायंस डिफेन्स का नाम खुद रक्षा मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में शामिल करने लायक नहीं माना था.
इससे यह साफ़ है कि रिलायंस को यह ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट सब नियमो को साइड कर के रातों -रात बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के खुद पीएम मोदी व रक्षा मंत्री के इशारे पर मिला।
सूची में नहीं था एसएमपीपी प्र. लि का नाम भी शामिल:
उसके बाद अप्रैल 2018 में एक नई डील होती है बुलेट प्रूफ जैकेट 639 करोड़ की. यदि आप दोबारा इस लिस्ट को गौर से देखेंगे तब पता चलेगा कि जिस गुमनाम कम्पनी एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड को बुलेट प्रूफ जैकेट का आर्डर दिया गया है, वो भी इस लिस्ट में शामिल नहीं है।
अब आप इस कंपनी की वेबसाइट पर मौजूद हवा हवाई भारी भरकम दावों को यदि सत्य मानते है तो इस कंपनी का नाम रक्षा मंत्रालय की इस लिस्ट में क्यों नहीं है जबकि सूची में अन्य कई निजी कंपनियों को शामिल किया गया है।
इससे यह स्पष्ट होता है कि इस गुमनाम कम्पनी ने सिर्फ मीडिया को गुमराह करने के लिए भारी भरकम फोटो और दावे वेबसाइट पर लगा रखे है.
यदि हकीकत में कुछ होता तो रक्षा मंत्रालय की 31 मई 2017 वाली लिस्ट में उसका नाम जरूर होता और यदि इस कंपनी का नाम बाद में जोड़ा गया है तब सवाल यह है कि आखिर डील एक नौसखिया गुमनाम कंपनी को क्यों दी गई?
जबकि मिश्र धातु निगम लिमिटेड जैसी मिनी रत्न पीएसयू मौजूद है देश में।
सबसे बड़ा सवाल आखिर किस एड्रेस पर यह कम्पनी बुलेट प्रूफ जैकेट बना रही है?
लाइसेंस पर संगरूर लिखा गया है जबकि वेबसाइट पर दिल्ली का पता है। मौके पर जा कर देखे तो वहां कोई आस -पड़ोस में इस तरह की कंपनी व बुलेट प्रूफ जैकेट बनने का गवाही देता हुआ नहीं मिलता।
मोदी राज में बड़ा गड़बड़झाला है. न खाता न बही जो भाजपा बोले वो सब सही, शायद आर्गनाइज्ड और सुनियोजित भ्रष्टाचार ही इन दिनों पार्टी का चाल चेहरा चरित्र बन चुका है। अभी तक पार्टी की तरफ से उनके पार्टी फंड से हो रही चोरी गड़बड़ झाले पर भी शीर्ष नेतृत्व का बयान नहीं आया है जबकि मेरे द्वारा अब तक कई राज्यों के पार्टी फण्ड से करोडो रूपये गायब होने का खुलासा किया जा चुका है।
UTTAR PRADESH NEWS की अन्य न्यूज पढऩे के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें