प्रधानमंत्री मोदी ने जब से अपना पदभार संभाला है तभी से उन्होंने देश के कई नियम व कानूनों में बदलाव किये हैं. जिसके अंतर्गत उन्होंने रेल बजट को आम बजट में मिला दिया साथ ही इस वित्तीय वर्ष का बजट तय तारीख से पहले पेश कर दिया गया. यही नही इस वर्ष का बजट सत्र दो भागों में बंट गया जिसकी कार्यवाही दो भागों में हुई है. सालों से चल रहे इन सभी नियमों में बदलाव के बाद सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि अब केंद्र सरकार वित्तीय वर्ष की तारीख और माह में बदलाव करने पर विचार कर रही है.

जनवरी से दिसंबर तक हो सकता है नया वित्तीय वर्ष :

  • केंद्र सरकार के अपने कार्यकाल के दौरान नियमों में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं.
  • जिसके तहत सरकार द्वारा बीते कुछ सालों में कई नीतियों में बदलाव किये गए हैं.
  • आपको बता दें कि इसी क्रम में अब केंद्र सरकार के हवाले से खबर आ रही है,
  • जिसके तहत सरकार वित्तीय वर्ष के महीनों में बदलाव करने पर विचार कर रही है.
  • आपको बता दें कि विश्व के करीब 156 देशों में इस नियम को अपनाया जा चुका है.
  • साथ ही यह एक सफल परीक्षण माना गया है और इससे देश की अर्थव्ययस्था में काफी सुधार भी देखने को मिले हैं.
  • जिसके बाद सरकार भी अब ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाये गए 150 साल पुराने इस नियम में बदलाव करने का विचार कर रही है.

इस बदलाव से किसको होगा फायदा :

  • कई देशों कि व्यवस्थाएं देख केंद्र सरकार अब इस नियम में बदलाव करने पर विचार कर रही है.
  • जिसके तहत यदि इसके माह में बदलाव होता है तो इसका सीधा असर देश के किसानों पर पड़ेगा.
  • जैसा कि सब जानते हैं देश का नया वित्तीय वर्ष अप्रैल माह से शुरू होता है.
  • परंतु भारत एक कृषिप्रधान देश है जो मानसून पर निर्भर करता है.
  • यही नहीं कुछ फसलें तो ऐसी भी हैं जो साल के अंत में काटी जाती हैं.
  • साथ ही मौसम में हुए बदलाव के चलते अब फसलों का समय भी बदल गया है.
  • मानसून कि स्थिति कैसी रहेगी या इसका फसल पर क्या असर पड़ेगा जानना मुश्किल हो जाता है.
  • जिसके बाद सरकार द्वारा फसल के नुक्सान होने पर मुआवजा घोषित कर पाना मुश्किल होता है.
  • ऐसे में यदि वित्तीय वर्ष के समय में बदलाव कियी जाएगा तो इससे किसानों के नुक्सान की भरपाई की जा सकेगी.
  • ऐसा इसलिए क्योकि यदि वित्तीय वर्ष जनवरी से शुरू होगा तो बजट को नवंबर माह में पेश किया जाएगा.
  • जिसके चलते किसानों को हुए नुकसानों की भरपाई सरकार द्वारा करना आसान हो जाएगा.
  • ऐसा इसलिए क्योकि उस समय खारिफ फसल का अंदाजा होगा साथ ही राबी फसल का भी अनुमान लगाया जा सकेगा.

संसाधनों का होगा इष्टतम उपयोग :

  • जैसा कि सब जानते हैं भारत एक कृषिप्रधान देश है जिसका ज़्यादातर व्यापार कृषि से जुड़ा हुआ है.
  • ऐसे में यदि फसल का उत्पाद अच्छा नहीं होता है तो यह बाकी कि व्यवस्थाओं में भी अड़ंगे की तरह सामने आता है.
  • इसी कारण अब तक सभी संसाधनों का इष्टतम उपयोग नहीं हो पा रहा है.
  • जिसके बाद यदि सरकार द्वारा इस निर्णय को गंभीरता से लिया जाता है और इस समय को बदल दिया जाता है.
  • तो यह ना केवल फसल का अंदाजा लगा पाने में सहायक होगा बल्कि सभी संसाधनों का होगा इष्टतम उपयोग भी हो सकेगा.

जीएसटी बन सकता है एक अहम रुकावट :

  • देश में आगामी माहों में लागू होने वाला वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी इस दिशा में एक अहम रुकावाट बन सकता है.
  • आपको बता दें कि फिलहाल सभी व्यापार व व्यापारी इस कर को समझने व इसके अनुरूप ढलने की कोशिशों में हैं.
  • जिसके बाद यदि इस तरह से वित्तीय वर्ष के समय में बदलाव किया जाता है तो यह देश की अर्थव्यवस्था को हिला सकता है.
  • यही नहीं देश के व्यापार को भी इससे काफी नुक्सान हो सकता है जिससे चलते यह एक अहम रुकावट बना हुआ है.

 

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