- चंद्रयान 2 की सफल लैंडिंग के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सुबह 6 बजे देश के नाम संबोधन होगा,
- इसरो केंद्र में मौजूद रहकर पीएम देखेंगे लैंडिंग.
- बता दें कि 24 सितंबर 2014 को मिशन मार्स के दौरान भी पीएम मोदी इसरो केंद्र में मौजूद थे.
- चंद्रयान 2 की लैंडिंग देखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेंगलुरू पहुंच गए हैं.
- पीएम एयरपोर्ट से सीधे इसरो केंद्र जाएंगे.
मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा ने पीएम का एयरपोर्ट पर स्वागत किया.
- पहली बार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत का चंद्रयान भी हीलियम 3 की तलाश करेगा.
- अगर भारत इस कोशिश में कामयाब रहा तो ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.
- एक अनुमान के मुताबिक हीलियम 3 से करीब 500 साल तक ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है.
- अनुमान है कि चांद पर 10 लाख टन हीलियम 3 मौजूद है, एक टन हीलियम 3 की कीमत 5 अरब डॉलर आंकी जाती है.
- यानी हीलियम 3 न सिर्फ भारत की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करेगा बल्कि आर्थिक तौर पर भारत को मजबूत बनाएगा.
जानी-मानी अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा ने चंद्रयान 2 के चांद तक के सफ़र को लेकर अपनी ख़ुशी जताई और भारत की इस उपलब्धि पर गौरवान्वित महसूस होने की बात कही.
- ‘मिशन मंगल’ की हीरोइन सोनाक्षी ने कहा कि मंगलयान की तरह अगर चंद्रयान 2 पर भी फिल्म बने तो वो इसमें जरूर काम करना चाहेंगी और चाहेंगी ‘मिशन मंगल’ की पूरी टीम इसमें काम करे.
- .भारत की इस अनोखी उपलब्धि पर बेहद ख़ुशी जताते हुए सुनील शेट्टी ने सभी क्षेत्रों में भारत की प्रगति पर बात की.
- मशहूर सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक अपनी कला के ज़रिए चन्द्रयान 2 के चन्द्रमा की सतह पर पहुंचने के ऐतिहासिक पल को रेत पर उकेरा है.
- उनकी इस कला के ज़रिए चन्द्रयान के करीब होने की अनुभूति उन सैलानियों को हो रही है जो यहां घूमने आए हुए हैं.
- चांद की धरती पर हिंदुस्तान इतिहास रचने वाला है.
- 7 सितंबर की रात 1 बजकर 55 मिनट पर चांद की धरती पर भारत का स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान-2 उतरने वाला है.
- इस ऐतिहासिक मौके को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से एक खास अपील की है.
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- हिंदुस्तान चांद की धरती पर इतिहास रचने की दहलीज पर खड़ा है,
- चंद्रयान 2 के चंद्रमा पर उतरते ही भारत नया इतिहास रच देगा.
- 6 और 7 सितंबर के बीच रात 1 बजकर 55 मिनट पर चांद की धरती पर भारत का स्पेसक्राफ्ट चंद्रयान 2 उतरने वाला है.
- ये कामयाबी हासिल करने वाला हिंदुस्तान दुनिया का चौथा देश होगा
- लेकिन भारत के चंद्रयान 2 की कामयाबी उन देशों से भी बड़ी है.
- दरअसल भारत पहला देश है जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारेगा.
- यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से चांद पर उतरेगा,
- इस प्रोजेक्ट की कमान भारत की दो महिला प्रोजेक्ट डायरेक्टर के हाथों में है.
- चांद की धरती पर लैंडिंग के बाद लैंडर से बाहर रोबार प्रज्ञान निकलेगा,
- जो चांद की सतह पर घूमेगा.
- प्रज्ञान संस्कृत के ‘ज्ञान’ शब्द से बना है.
25 किलो का रोवर प्रज्ञान 6 पहिया रिमोट कार जैसा है.
- लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद प्रज्ञान अलग होगा.
- लैंडर से निकलकर प्रज्ञान चांद पर 15 दिन रहेगा और चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा.
- प्रज्ञान के पहिये अशोक चक्र और इसरो के निशान छोड़ेंगे.
- रोवर प्रज्ञान 500 मीटर चांद की सतह पर चलेगा.
- इसकी की रफ्तार 1 सेमी./सेकेंड होगी.
- प्रज्ञान ड्रिल करके चांद की मिट्टी भी निकालेगा और मिट्टी का विश्लेषण करके डाटा जमा करेगा.
- रोवर प्रज्ञान एक रोबोट है जिसका वजन 27 किलो है और यही है पूरे मिशन की जान है.
- इसमें 2 पेलोड हैं. रोवर प्रज्ञान उस जानकारियों को विक्रम लैंडर को भेजेगा.
- लैंडर उस डाटा को ऑर्बिटर पर भेजेगा और फिर ऑर्बिटर उसे इसरो सेंटर भेजेगा.
- 15 मिनट बाद डाटा इसरो सेंटर आने लगेगा.
- इसरो प्रमुख के. सिवन ने बताया है कि इसके कामयाब होने की गुंजाइश सिर्फ 37 फीसदी है,
- क्योंकि चांद के जिस दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-2 को उतरना है.
- वो बेहद खतरनाक है.
- दरअसल लैंडिंग की संभावित सतह पर ढेरों गड्ढें, पत्थर और धूल है.
- लैंडिंग के वक्त प्रोपल्शन सिस्टम ऑन होन से धूल उड़ेगी.
- डर से सोलर पैनल पर धूल जमा हुई तो पावर सप्लाई पर असर पड़ेगा.
- धूल से ऑनबोर्ड कंप्यूटर सेंसर्स पर असर पड़ सकता है.
- लैंडिंग के वक्त मौसम भी बड़ी मुसीबत बन सकता है.
- चांद के दूसरे हिस्सों के मुकाबले यहां ज्यादा अंधेरा रहता है.
- इसलिए भी कोई देश यहां अपना मिशन नहीं भेजता.
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