भारतीय अदालतों में ऐसे कई मामलें है जो पिछले कई सालों से लंबित है। ऐसे मामले वर्तमान में लगभग 3.14 करोड़ है और यह संख्‍या लगातार बढ़ती जा रही है। देश के प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने लंबित मामलों की संख्‍या को लेकर चिन्‍ता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि इस भारी संख्‍या में जमा हुए इन केसों को निपटाने के लिए लगभग 70 हजार न्‍यायधीशों की जरूरत है। न्‍यायधीशों की संख्‍या बेहद कम होने की वजह से तमाम मामलों में आम जनता को ठीक से न्‍याय नही मिल पा रहा है।

गौरतलब है कि देश में न्‍यायधीशों की संख्‍या और कुल आबादी के बीच का अनुपात बहुत ज्‍यादा बिगड़ा हुआ है जिसके अनुसार देश को लगभग 70 हजार से ज्‍यादा न्‍यायाधीशों की जरूरत है। उच्च न्यायालयों में नियुक्ति के लिए करीब 170 प्रस्ताव अभी सरकार के पास लंबित हैं जिस पर अभी कोई फैसला नही लिया गया है।

बताते चले कि न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने अपने भाषण में यह भी बताया कि इसको लेकर 1987 में विधि आयोग ने सुझाव दिया था कि लंबित मामलों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए 44 हजार न्यायाधीशों की जरूरत है लेकिन इस सुझाव पर विचार नही किया गया इसी वजह से देश में आज सिर्फ 18 हजार न्यायाधीश हैं।

 

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