तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता अब नहीं रहीं. अपोलो हॉस्पिटल में सोमवार की रात 11:30 बजे उन्होंने अंतिम साँस ली. इस खबर के बाद पूरा देश शोक में डूब गया. उनके समर्थकों का रो-रोकर बुरा हाल था. तमिलनाडु की सडकों पर जहाँ तक नजर जाए, केवल अम्मा की तस्वीर ही नजर आ रही थी.
शोक में डूबा तमिलनाडु:
- तमिलनाडु शोक में डूबा हुआ है.
- अम्मा के समर्थकों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है.
- वो खुद को यकीन नही दिला पा रहे हैं कि उनकी प्यारी ‘अम्मा’ अब उनके बीच नहीं रहीं.
- हॉस्पिटल के बाहर समर्थकों की भारी भीड़ बेहाल, बदहवास पड़ी थी.
- आँखों से आंसुओं की बहती धार ये बता रही थी कि अम्मा से इन लोगों को कितना लगाव था.
- हर कोई ‘अम्मा’ की तस्वीर हाथ में लिए रोते-बिलखते हुए देखा जा सकता है.
- ये वो क्षण हैं जब तमिलनाडु ने किसी अपने को खो दिया था.
- उनके समर्थक खुद को अनाथ महसूस कर रहे हैं.
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तमिलनाडु की राजनीति जयललिता के बिना अधूरी सी है. 5 बार के अपने कार्यकाल में उन्होंने जनता के लिए कई योजनाओं को जमीन पर उतारा. अम्मा कैंटीन, अम्मा फार्मेसी, अम्मा सीमेंट आदि वो प्रोडक्ट्स हैं जो आम जन को कम कीमत पर वस्तुएं उपलब्ध कराई जाती हैं.
विरोधी उन्हें अहंकारी और विलासितापूर्ण जीवन व्यतीत करने वाला मुख्यमंत्री बताते थे. कभी उन्हें निरंकुश मुख्यमंत्री तो कभी शानशौकत भरा जीवन बिताने वाला बताया जाता था. अम्मा लोगों के बीच आम लोगों की सीएम के रूप में जानी जाती रही. अम्मा के काम-काज से जनता बहुत खुश थी. शायद यही वजह रही कि 2014 लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के बावजूद अम्मा ने 39 में से 37 सीटों पर परचम लहराया.
क्या कभी ‘अम्मा’ का विकल्प मिल पायेगा तमिलनाडु को:
अम्मा के जाने के बाद अब उनके जैसा कोई और होगा कि नहीं ये तो आने वाला वक्त बताएगा लेकिन अम्मा के जाने तमिलनाडु की राजनीति में बदलाव जरुर आयेगा. तमिलनाडु की जनता के लिए अम्मा का विकल्प ढूँढना या उनको विकल्प मिलना दोनों ही फ़िलहाल मुश्किल है. अम्मा के ‘भक्त’ कहे जाने वाले पन्नीरसेल्वम अब मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले चुके हैं. अब देखना होगा कि अम्मा के कार्यों को वो किस हद तक आगे बढ़ा पाते हैं. एक सवाल ये भी है कि क्या वो अम्मा के निधन के बाद तमिलनाडु की राजनीति में आये सूनेपन को दूर कर पायेंगे?